Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

tranding

0 मुरुमसिल्ली, अरपा-भैंसाझार सूखे

रायपुर/धमतरी/ बिलासपुर। प्रदेश में भीषण गर्मी के चलते मई के पहले पखवाड़ा में ही  बांध सूखने लगे हैं। यहां के बड़े और मझोले जलाशयों में 42 से 43 फीसदी पानी ही बचा है। जल संसाधन विभाग के इंजीनियरों का कहना है कि अगर समय से मानसून आ गया तब तो स्थिति संभल जाएगी। यदि बरसात आने में देरी हुई तो संकट बढ़ सकता है।

जल संसाधन विभाग के स्टेट डाटा सेंटर के मुताबिक 17 मई को प्रदेश के सबसे बड़े जलाशय रविशंकर सागर यानी गंगरेल में क्षमता का केवल 53% पानी बचा है। इस जलाशय की क्षमता 767 लाख घन मीटर है। मंगलवार शाम को उसमें 409.27 लाख घन मीटर पानी बचा हुआ था। यह 2021 में 295.40 लाख घन मीटर और 2020 में इसी दिन मापे गए 318.59 लाख घन मीटर से काफी अधिक है।

इस बीच धमतरी जिले का ही मुरुमसिल्ली और बिलासपुर का अरपा-भैंसाझार जलाशय सूख गया है। मुरुमसिल्ली की क्षमता 162 लाख घन मीटर पानी की है, लेकिन मंगलवार को यहां उपयोगी पानी नहीं बचा था। 16.41 लाख घन मीटर की भराव क्षमता वाले अरपा-भैंसाझार जलाशय में भी उपयोगी पानी नहीं बचा है। मझोले जलाशयों में कांकेर का परालकोट जलाशय भी सूख चुका है। इसकी क्षमता करीब 63 लाख घन मीटर की है।

मिनीमाता बांगो, केलो और खारंग में अच्छा जलभराव
जल संसाधन विभाग के मुताबिक कोरबा जिले में हसदेव नदी पर बने मिनी माता बांगो जलाशय में अभी 50% पानी बचा हुआ है। यह पिछले दो साल की तुलना में काफी कम है। रायपुर में केलो नदी पर बने केलो जलाशय में भी 53% उपयोगी पानी बचा हुआ है। बिलासपुर के खारंग जलाशय में क्षमता का 55% पानी बचा है। इन बांधों से कोरबा, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, बिलासपुर और आसपास के हजारों हेक्टेयर खेतों को पानी पहुंचता है। उसके अलावा औद्योगिक और खनन परियोजनाओं को इनसे पानी की आपूर्ति की जाती है।

समय से पहले मानसून की संभावना
मौसम विभाग ने इस साल मानसून के समय से पहले आने की संभावना जताई है। बताया जा रहा है कि मौसम का यह तंत्री अंडमान द्वीप समूह के ऊपर से आगे बढ़ रहा है। इसके प्रभाव से उन इलाकों में बरसात हो रही है। तटीय क्षेत्रों में भी बरसात शुरू हो चुकी है। अनुमान है कि मानसून 27 मई तक केरल तट पहुंच जाएगा। अगले 10-12 दिनों में वह छत्तीसगढ़ के ऊपर होगा। 15 जून तक प्रदेश का अधिकांश हिस्सा सराबोर होगा। जल संसाधन विभाग के इंजीनियरों का कहना है कि मानसून समय से पहुंच गया तो कम पानी वाले जलाशय भी तेजी से भर जाएंगे। उसके बाद पानी का संकट नहीं रहेगा।