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0 एक से 100 करोड़ पहुंचने में 1800 साल लगे, इतने ही लोग पिछले 12 साल में बढ़ गए

न्यूयार्क/नई दिल्ली। बेहतर चिकित्सा सुविधा, स्वच्छता, दवा और पोषण के कारण विश्व की जनसंख्या मंगलवार को 8 अरब से पार हो गई। दुनिया में 800 करोड़वें बच्चे ने जन्म ले लिया है। जनसंख्या को रियल टाइम ट्रैक करने वाली साइट https://www.worldometers.info/ के मुताबिक मंगलवार दोपहर करीब 1 बजकर 30 मिनट पर इस बच्चे ने जन्म लिया। इसके साथ ही दुनिया की आबादी भी 8 अरब (800 करोड़) हो गई है। संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या कार्यक्रम के अनुसार 15 नवंबर को विश्व की जनसंख्या 8 अरब के आंकड़े को पार कर गई। इसमें चीन और भारत का सर्वाधिक एक तिहाई हिस्सा है।

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष ने कहा है कि विश्व में कहीं कोई बच्चा मंगलवार को आठ अरब वें व्यक्ति के रूप में जन्मा है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि बेहतर चिकित्सा सुविधाएं, पोषण, व्यक्तिगत स्वच्छता और दवाओं से मानव विकास तथा जीवन प्रत्याशा में सुधार हुआ है। इसी कारण से दुनिया की आबादी आठ अरब के आंकड़े को छू सकी है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंतोनियो गुटेरेस ने कहा है कि यह विविधता और आधुनिकता का उत्सव मनाने का एक अवसर है। साथ ही पृथ्वी के प्रति अपने उत्तरदायित्व को निभाने का भी समय है।

संयुक्त राष्ट्र की गणना के अनुसार फिलहाल चीन सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है जबकि भारत का दूसरा स्थान है। अगले साल वर्ष 2023 में भारत की जनसंख्या चीन से अधिक होगी और भारत दुनिया में सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा। हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में जनसंख्या वृद्धि दर धीमी पड़ रही है और अभी यह 1.2 प्रतिशत है। संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि भारत में गिरती प्रजनन दर दो बच्चे की नीतियों की समीक्षा करने पर मजबूर कर सकती है। एक अनुमान के अनुसार भारत की आबादी 1.38 अरब है, जो विश्व बैंक के चीन के अनुमान 1.4 अरब से थोड़ा कम है।

वर्ष 2011 के बाद से भारत की वार्षिक जनसंख्या वृद्धि औसतन 1.2 प्रतिशत रही है, जबकि पिछले 10 वर्षों में यह 1.7 पर प्रतिशत थी। भारत की कुल प्रजनन दर (टीएफआर) - प्रति महिला बच्चे - 2019-2021 में गिरकर दो हो गई, जो 1992-93 में 3.4 थी। विशेषज्ञों के अनुसार जनसंख्या में संतुलन के लिए यह औसत 2.1 होना चाहिए।

सरकार का कहना है कि गर्भ निरोधकों के बढ़ते उपयोग और लड़कियों के बीच बढ़ती शिक्षा ने प्रजनन दर में गिरावट में योगदान है। वर्ष 2019-21 में परिवार नियोजन के उपायों का उपयोग 2015-16 में 53.5 प्रतिशत से बढ़कर 66.7 प्रतिशत हो गया।

महज 24 साल में 200 करोड़ हुई दुनिया की आबादी
आबादी में बढ़ोतरी के इस आंकड़े में जो खास बात है, वो ये कि दुनिया की आबादी में 200 करोड़ की बढ़ोतरी पिछले 24 साल में ही हो गई है। 1998 में दुनिया की आबादी 600 करोड़ थी, जो 2010 में बढ़कर 700 करोड़ हो गई। अगले 12 साल यानी 2022 में आबादी में फिर 100 करोड़ का इजाफा हुआ और 15 नवंबर 2022 को दुनिया में 800 करोड़वें बच्चे का जन्म हुआ। दुनिया की आबादी को लेकर ईसा के जन्म के समय के बाद से डेटा उपलब्ध है। यानी दो हजार साल से ज्यादा के समय में आबादी की बढ़ोतरी को हम देख सकते हैं।

आबादी को 100 करोड़ तक पहुंचने में 1800 साल लगे
ये आंकड़े साफ करते हैं कि ईसा के जन्म के समय दुनिया की आबादी 20 करोड़ के करीब थी। इसे 100 करोड़ तक पहुंचने में करीब 1800 साल लगे। इसके बाद यानी 100 करोड़ से 200 करोड़ तक पहुंचने में दुनिया को 130 साल ही लगे।

स्वास्थ्य सेवाएं सुधरीं तो 14 साल में 100 करोड़ लोग बढ़े
औद्योगिक क्रांति के साथ स्वास्थ्य सेवाओं में तेजी से सुधार हुआ। नतीजे के तौर पर जन्म लेने वाले बच्चों और डिलीवरी के समय मरने वाली महिलाओं की संख्या में कमी आई। इसके साथ ही आबादी में बढ़ोतरी तेज होती गई। अगले 30 साल में दुनिया की आबादी 200 करोड़ से 300 करोड़ हो गई, तो वहीं केवल 14 साल में आबादी 300 करोड़ से 400 करोड़ पहुंच गई।

धरती पर अगले 18 साल में 850 करोड़ इंसान होंगे
ताजा ट्रेंड देखें तो केवल 12 साल में धरती पर मौजूद इंसानों की संख्या 700 करोड़ से बढ़कर 800 करोड़ हो गई। UN के अनुमान के मुताबिक, 2030 तक दुनिया की आबादी बढ़कर 850 करोड़ तक पहुंच सकती है। हालांकि UN ने यह भी कहा है कि 1950 के बाद से पहली बार 2020 में जनसंख्या बढ़ोतरी की दर में एक फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है।

28 साल बाद दुनिया की 50% आबादी 8 देशों में होगी
आबादी पर UN की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 तक आबादी में से आधे से ज्यादा हिस्सा केवल आठ देशों में होगा। इनमें भारत समेत पाकिस्तान, फिलीपींस, मिस्र, कांगो, नाइजीरिया, तंजानिया​ और ​​​​​​इथियोपिया शामिल हैं। UN ने 61 ऐसे देशों का अनुमान भी लगाया है जिनकी आबादी 2022 से 2050 के बीच घट जाएगी। इनमें सबसे ज्यादा देश यूरोप के होंगे।

फिलहाल 46 देशों की आबादी सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ रही है, जिनमें से 32 देश सब सहारा अफ्रीका के हैं।

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