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0 34 सेकेंड में सैकड़ों घर-होटल मलबे में दबे 

उत्तरकाशी/देहरादून। उत्तरकाशी के धराली गांव में मंगलवार को दोपहर 1.45 बजे बादल फटने से भारी तबाही मच गई। देखते ही देखते 34 सेकेंड में सैकड़ों घर-होटल मलबे में दब गए। खीर गंगा नदी में पहाड़ों से बहकर आए मलबे से धराली गांव का बाजार, मकान और होटल बह गए। सिर्फ 34 सेकेंड में सब कुछ बर्बाद हो गया। इसमें अब तक 4 लोगों की मौत हो गई। वहीं 50 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं।
उत्तरकाशी के डीएम प्रशांत आर्य ने बताया कि हादसे में संपत्ति को काफी ज्यादा नुकसान हुआ है। प्रशासन का कहना है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। घटना के बाद एसडीआरएफ, एनडीआरएफ व आईटीबीपी की टीमें बचाव और रेस्क्यू के काम में जुट गई हैं।

बादल फटने के बाद नाले में पानी के उफान से पूरे इलाके में दहशत फैल गई, अब इलाके में राहत और बचाव का काम चल रहा है। जिला आपदा प्रबंधन ने हादसे की पुष्टि की है और कहा कि हालात पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। प्रशासन की तरफ से भी लोगों को अलर्ट रहने की सलाह दी गई है। प्रशासन ने बताया कि हर्षिल क्षेत्र में खीर गाड़ का जलस्तर बढ़ने से कस्बा धराली में भारी नुकसान हुआ है। सूचना पर पुलिस, एसडीआरएफ, राजस्व, आर्मी और आपदा दल मौके पर राहत और बचाव कार्य में जुटे हैं। प्रशासन ने लोगों से नदी से दूरी बनाए रखने की अपील की है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के निर्देश दिए गए हैं। 

वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि धराली (उत्तरकाशी) क्षेत्र में बादल फटने से हुए भारी नुकसान का समाचार अत्यंत दुःखद एवं पीड़ादायक है. राहत एवं बचाव कार्यों के लिए एसडीआरएफ व एनडीआरएफ टीम, जिला प्रशासन तथा अन्य संबंधित टीमें युद्ध स्तर पर जुटी हुई हैं। 

केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने सीएम धामी से ली जानकारी
उत्तराखंड लैंडस्लाइड हादसे को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड सीएम पुष्कर धामी से चर्चा कर हादसे की जानकारी ली। केंद्र सरकार ने राज्य को हरसंभव मदद का भरोसा दिया है। हादसे की जगह पर पहले ही एनडीआरएफ और आईटीबीपी की टीमों को बचाव कार्य के लिए  रवाना कर दिया गया है। आईटीबीपी की निकटतम 3 टीमों को वहाँ भेज दिया गया है। साथ ही एनडीआरएफ की 4 टीमें भी घटनास्थल के लिए रवाना कर दी गई हैं, जो शीघ्र पहुँच कर बचाव कार्य में लगेंगी।

गंगोत्री धाम के पास है प्रभावित इलाका
यह घटना बेहद गंभीर है और इसने स्थानीय लोगों के लिए बड़ी मुसीबत लेकर आई है। नाले के पानी के साथ मलबा भी नीचे बहकर आया है, जिसमें कई लोगों के दबे होने की आशंका जताई जा रही है। इलाके में अब भी बारिश हो रही है। इससे अभी भी बादल फटने का खतरा बना हुआ है। 

गंगोत्री धाम का संपर्क जिला मुख्यालय से कटा
बादल फटने की इस घटना के बाद गंगोत्री धाम का संपर्क जिला मुख्यालय से पूरी तरह कट चुका है। इससे घटना स्थल तक पहुंचने में रेस्क्यू टीम को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इलाके में अभी लगातार बारिश भी हो रही है। धराली में जलस्तर बढ़ने से बाजार और घरों का काफी नुकसान पहुंचा है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में भारी बारिश और बादल फटने की घटनाएं लगातार हो रही हैं। इन हादसों में कई लोगों की जान भी जा चुकी है और घरों को काफी नुकसान पहुंचा है। 

धराली से पहले उत्तराखंड में कब-कब फट चुके बादल
0 हाल ही में 9 जुलाई को उत्तराखंड के चमोली जिले में बादल फटने की वजह से जबरदस्त तबाही हुई थी। इस सैलाब से कई घरों को भारी नुकसान हुआ था और कुछ लोगों की गौशालाएं बह गई थीं। बादल फटने से एक नाला नदी में तब्दील हो गया और पूरे गांव को ले डूबने पर आतुर हो गई।
0 19-20 जुलाई को पिथौरागढ़ में कई जगहों पर बादल फटने से तबाही हुई थी। इससे वहां पर 11 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई लोग उस आफत में लापता हो गए थे। वहीं तमाम घर भी जमींदोज हो गए थे। 
0 31 जुलाई 2024 को टिहरी के जखन्याली में बादल फटा था. उस दौरान एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हो गई थी। उत्तराखंड में बादल फटने की ये घटनाएं मानसून के मौसम में ही होती हैं, जिससे पूरा का पूरा गांव पानी में समा जाता है। 
0 16-17 जून 2013 को केदारनाथ में आई हुई उस आपदा कोई नहीं भूल सकता है। इस घटना ने पूरी दुनिया को सन्न कर दिया था। इस हादसे में 5000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। केदारनाथ का यह हादसा भी बादल फटने की वजह से हुआ था। इस विनाशकारी बाढ़ ने कई शहरों और गांवों को पूरी तरह से तबाह कर दिया था। इस भयानक बाढ़ में हजारों लोग बह गए थे और अभी तक उनकी लाशें भी शायद नहीं मिली हैं। 
0 सितंबर 2012 में उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना से 45 लोगों की मौत हुई थी। इस घटना में करीब 40 लोग लापता हो गए थे, जिनमें से सिर्फ 22 लोगों के ही शव मिल पाए थे। 
0 अगस्त 1998 में कुमाऊं में काली घाटी में बादल फटा था। इस घटना में करीब 250 लोगों की मौत हुई थी। इस दौरान कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने वाले करीब 60 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। 

 

 

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