इस्लामाबाद। पाकिस्तान लगातार बढ़ रही आर्थिक और राजनीतिक अनिश्चितता के बीच खबर है कि आयात को नियंत्रित करने के मुद्दे पर शहबाज शरीफ सरकार में गहरा मतभेद पैदा हो गया है। अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री शरीफ ने आयात में भारी कटौती का निर्देश दिया है, लेकिन वित्तीय टीम इससे सहमत नहीं है। वित्त विशेषज्ञों का कहना है कि आयात घटाने का आर्थिक गतिविधियों पर खराब असर होगा, जबकि इस समय जरूरत अर्थव्यवस्था की गति बनाए रखने की है।
इस बीच मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने शरीफ को करारा झटका दिया। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के पाला बदलने सांसदों के मामले में कोर्ट ने कहा कि संसद में महत्वपूर्ण मसलों पर मतदान के दौरान इन सांसदों के वोट नहीं गिने जाएंगे। पिछले महीने इमरान खान के नेतृत्व वाली पीटीआई सरकार के खिलाफ पेश अविश्वास प्रस्ताव के समय पार्टी के 22 सदस्यों ने पाला बदल लिया था।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जहां शरीफ सरकार के संसदीय समर्थन में भारी कमी आएगी, वहीं इससे उसे नैतिक झटका भी लगा है। समझा जाता है कि इस फैसले के बाद शरीफ सरकार के लिए कड़े आर्थिक फैसले लेना अब ज्यादा मुश्किल हो गया है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक आर्थिक मोर्चे पर प्रधानमंत्री शरीफ की मुख्य चिंता तेजी से खाली हो रहे विदेशी मुद्रा भंडार की है। इसलिए उन्होंने कम से कम तीन महीनों तक आयात में भारी कटौती की सलाह को स्वीकार कर लिया है, लेकिन प्रधानमंत्री ने दफ्तरों में पांच दिन का कार्य-सप्ताह लागू करने और बाजारों को जल्द बंद करने की सिफारिश को स्वीकार नहीं किया है। ये सिफारिशें पाकिस्तान स्टेट बैंक, वाणिज्य मंत्रालय, फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के विशेषज्ञों के एक दल ने बिजली की बचत के लिए की थी। विशेषज्ञों ने कहा था कि फिलहाल हर महीने कम से कम एक बिलियन डॉलर के आयात को घटाने की जरूरत है।
बताया जाता है कि वित्त मंत्रालय के अधिकारी इतनी बड़ी आयात कटौती के प्रस्ताव से सहमत ननहीं हुए। नतीजतन, वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने जो जानकारी दी है कि उसके मुताबिक अधिक से अधिक 30 से 40 करोड़ डॉलर का आयात घटेगा। अप्रैल में पाकिस्तान का कुल आयात बिल 6.6 बिलियन डॉलर रहा था।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस वित्त वर्ष में पाकिस्तान के आयात बिल में भारी इजाफा हुआ है। पाकिस्तान में वित्त वर्ष जुलाई से जून तक होता है। इस वित्त वर्ष में पाकिस्तान का कुल आयात बिल 77 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाने की संभावना है।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक वित्त मंत्रालय के अधिकारी आयात में भारी कटौती के बजाय आयात शुल्क बढ़ाने के पक्षधर हैं, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि उससे पाकिस्तान के चालू खाते के बढ़ते घाटे पर काबू पाना संभव नहीं होगा। इस वित्त वर्ष में चालू खाते का घाटा 18 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाने की संभावना है।
कई जानकार ये चेतावनी दे चुके हैं कि अगर सरकार ने आपातकालीन कदम नहीं उठाए, तो पाकिस्तान की हालत श्रीलंका जैसी हो सकती है। लेकिन ऐसे कदमों से सरकार के और भी ज्यादा अलोकप्रिय होने का खतरा है। इसलिए इन कदमों को लेकर पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में मतभेद बढ़ते दिख रहे हैं।