वाशिंगटन। दुनिया में कोरोना वायरस का संकट अभी खत्म भी नहीं हुआ कि एक और खतरनाक वायरस ने लोगों को डराना शुरू कर दिया है। इस जानलेवा वायरस का नाम है मंकीपॉक्स जो कि सबसे पहले ब्रिटेन में मिला लेकिन अब अमेरिका में भी पहले मामले की पुष्टि हो गई है। सीडीसी के मुताबिक अमेरिका के टेक्सास शहर में 'मंकीपॉक्स वायरस संक्रमण' का एक दुर्लभ मामला सामने आया है। इससे पहले साल 2003 में अमेरिका के कुछ शहरों में मंकीपॉक्स का प्रकोप देखने को मिला था। सीडीसी द्वारा साझा की गई जानकारियों के मुताबिक जिस व्यक्ति में मंकीपॉक्स की पुष्टि हुई है, उसने हाल ही में नाइजीरिया से अमेरिका की यात्रा की थी।
अधिकारियों के मुताबिक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए कई अन्य लोगों में भी संक्रमण का खतरा हो सकता है, इसकी जांच की जा रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक दुर्लभ मंकीपॉक्स वायरस, चिकनपॉक्स वायरस फैमिली से संबंधित है। इसका संक्रमण काफी गंभीर भी हो सकता है। संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर बड़े-बड़े दानों के आधार पर इस संक्रमण की पहचान की जा सकती है। आइए जानते हैं इनके प्रमुख लक्षण क्या-क्या हैं...
मंकीपॉक्स संक्रमण के क्या लक्षण हो सकते हैं?
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मंकीपॉक्स संक्रमण का इनक्यूबेशन पीरियड (संक्रमण होने से लक्षणों की शुरुआत तक) आमतौर पर 6 से 13 दिनों का होता है, हालांकि कुछ लोगों में यह 5 से 21 दिनों तक भी हो सकता है। संक्रमित व्यक्ति को बुखार, तेज सिरदर्द, लिम्फैडेनोपैथी (लिम्फ नोड्स की सूजन), पीठ और मांसपेशियों में दर्द के साथ गंभीर कमजोरी का अनुभव हो सकता है। लिम्फ नोड्स की सूजन की समस्या को सबसे आम लक्षण माना जाता है।
इसके अलावा रोगी के चेहरे और हाथ-पांव पर बड़े आकार के दाने हो सकते हैं। कुछ गंभीर संक्रमितों में यह दाने आंखों के कॉर्निया को भी प्रभावित कर सकते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक मंकीपॉक्स से मौत के मामले 11 फीसदी तक हो सकते हैं। संक्रमण के छोटे बच्चों में मौत का खतरा अधिक रहता है।
मंकीपॉक्स संक्रमण के क्या कारण हैं?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक मंकीपॉक्स नामक वायरस के कारण यह संक्रमण होता है। यह वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस समूह से संबंधित है। इस समूह के अन्य सदस्य मनुष्यों में चेचक और काउपॉक्स जैसे संक्रमण का कारण बनते हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मंकीपॉक्स के एक से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण के मामले बहुत ही कम हैं। संक्रमित व्यक्ति के छींकने-खांसने से निकलने वाली ड्रॉपलेट्स, संक्रमित व्यक्ति की त्वचा के घावों या संक्रमित के निकट संपर्क में आने के कारण दूसरे लोगों में भी संक्रमण होने की आशंका रहती है।