0 सुनवाई में 4 याचिकाकर्ताओं और दोनों पक्षों के 19 वकीलों को ही मिली एंट्री
वाराणसी। ज्ञानवापी विवाद पर सोमवार को सर्वे रिपोर्ट पेश की गई। दोनों पक्षों ने बारी-बारी से अपनी बातों को रखा। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट में करीब 45 मिनट तक सुनवाई चली। फैसला मंगलवार को सुनाया जाएगा। इस दौरान दोनों पक्षों के 19 वकीलों और चार याचिकाकर्ता कोर्ट रूम में मौजूद रहे।
ज्ञानवापी से जुड़ी सर्वे रिपोर्ट शनिवार को ही अदालत को सौंप दी गई थी। मगर, सुप्रीम कोर्ट ने पहले फैसला सुनाने से रोक लगा दी थी। हालांकि, बाद में इजाजत दे दी। इसके साथ ही मामले को सेशन कोर्ट से जिला अदालत में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। कोर्ट कमिश्नर रहे अजय मिश्रा को कोर्ट रूम जाने से रोक दिया गया। बताया जा रहा है कि लिस्ट में नाम नहीं होने की वजह से उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया।
जिला अदालत में सुनवाई को लेकर तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई। बाहर बड़ी संख्या में जवान तैनात रहे। सुनवाई के दौरान भीड़ न लगे। इसका भी ध्यान रखा गया।
कोर्ट में इन मुद्दों पर हुई बहस
वादी पक्ष के विष्णु जैन ने बताया कि प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट के सेक्शन 3 और 4 पर बहस हुई। कल उसी पर आगे की कार्यवाही होगी। जिला जज ने सभी पक्षों के आवेदन के बारे में जानकारी ली। मुस्लिम पक्ष के सिविल प्रक्रिया संहिता के ऑर्डर 7 रूल 11 (मेंटेनेबिलिटी यानी पोषणीयता) के तहत दाखिल प्रार्थना पत्र के बारे में भी सुना। कमीशन की रिपोर्ट के बारे में भी पता किया।
विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत ने भी दाखिल की याचिका
काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी सोमवार को जिला जज की अदालत में याचिका दाखिल करने पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग के स्नान, भोग-राग, शृंगार और पूजापाठ का अधिकार उन्हें दिया जाए। उन्होंने कहा कि हम न्यायिक तरीके से अपने भगवान विश्वेश्वर की पूजा का अधिकार मांगने आए हैं।
इन मुद्दों पर कोर्ट में होनी थी सुनवाई
0 ज्ञानवापी परिसर में मां श्रृंगार गौरी की दैनिक पूजा-अर्चना की इजाजत देने और अन्य देवी-देवताओं को संरक्षित करने को लेकर दायर केस की सुनवाई होगी।
0 एडवोकेट कमिश्नर ने ज्ञानवापी की जो सर्वे रिपोर्ट सौंपी हैं, उस पर कोर्ट बहस शुरू करवा सकता है या कोई निर्णय दे सकता है।
0 कोर्ट यह भी तय करेगा कि ज्ञानवापी मामले में उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम-1991 लागू होता है या नहीं। यानी यहां, पूजा का अधिकार दिया जा सकता है या नहीं।
0 डीजीसी सिविल के प्रार्थना पत्र और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की आपत्ति पर सुनवाई होगी। डीजीसी सिविल ने प्रति आपत्ति दाखिल कर दी है।
प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 लागू नहीं होता: हिंदू पक्ष के वकील
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 लागू नहीं होता है। उन्होंने कहा कि 1937 में दीन मोहम्मद के केस में 15 लोगों ने इस बात की गवाही दी थी कि वहां पूजा होती थी जो 1942 तक हुई। इसलिए वह एक्ट ज्ञानवापी प्रकरण में प्रभावी नहीं होगा। यही तथ्य हम अदालत के सामने भी रखेंगे।
हिंदू सेना और भाजपा नेता भी दाखिल करेंगे याचिका
ज्ञानवापी मामले को लेकर वाराणसी की कोर्ट में हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता याचिका दाखिल करेंगे। विष्णु गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में भी ज्ञानवापी मामले में खुद को वादी बनाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। उधर, ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका सोमवार को दायर हुई है। इसे BJP नेता और एडवोकेट अश्वनी उपाध्याय ने दाखिल किया है। उन्होंने मस्जिद कमेटी की अर्जी खारिज करने की मांग की है। कहा है कि मंदिर तोड़कर बनाई गई मस्जिद वैध नहीं होती, ऐसा इस्लामिक सिद्धांत है।