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वाशिंगटन। अमेरिका ने यह दो टूक कहा है कि वह सिर्फ चीन को अपने लिए चुनौती मानता है। ये बात जो बाइडन प्रशासन की नई चीन नीति में कही गई है। इस नीति की व्याख्या विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने गुरुवार रात अपने एक भाषण के दौरान पेश की। बाइडन के इस भाषण का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था।

न्यूयॉर्क स्थित एशिया सोसायटी के पॉलिसी इंस्टीट्यूट की तरफ से आयोजित एक हाई प्रोफाइल चर्चा में ब्लिकेन ने कहा- ‘चीन अकेला देश है, जिसके पास जिसके पास मौजूदा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बदलने का इरादा और शक्ति है। उसकी ये शक्ति आर्थिक, कूटनीतिक, सैनिक और तकनीकी क्षेत्र में लगातार बढ़ रही है।’ ब्लिंकेन पिछले महीने ही बाइडन प्रशासन की नई नीति की घोषणा करने वाले थे। लेकिन उनके कोविड-19 वायरस से संक्रमित हो जाने के कारण ये कार्यक्रम तब टल गया था।

ये हैं अमेरिकी रणनीति के तीन सूत्र
ब्लिंकेन ने यह स्पष्ट कर दिया कि यूक्रेन युद्ध अमेरिका की केवल तात्कालिक चिंता है। उन्होंने कहा- ‘अभी भी जबकि राष्ट्रपति पुतिन का युद्ध जारी है, हम अपना ध्यान अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए सबसे गंभीर दीर्घकालिक चुनौती पर केंद्रित रखेंगे।’ अमेरिका इस चुनौती का मुकाबला कैसे करेगा, इसकी भी व्याख्या ब्लिंकेन ने की। उन्होंने अमेरिकी रणनीति के तीन सूत्र बताए। 

उन्होंने कहा- ‘दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश के प्रति बाइडन प्रशासन की नीति इन तीन शब्दों में निहित हैः निवेश, सहयोग, और प्रतिस्पर्धा।’ उन्होंने कहा- हम अनुसंधान और विकास में निवेश बढ़ाएंगे, अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की रक्षा के लिए अपने सहयोगी देशों के साथ मिल कर काम करेंगे, और इन उपायों से चीन की प्रतिस्पर्धा के लिए खुद को तैयार करेंगे।

ब्लिंकेन ने कहा कि अमेरिका-चीन संबंध सर्वाधिक जटिल हैं और महत्त्वपूर्ण हैं, इसके बावजूद अमेरिका टकराव या नए शीत युद्ध की शुरुआत नहीं चाहता। उन्होंने कहा- ‘इसके विपरीत हम इन दोनों से बचने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम महाशक्ति के रूप में चीन की भूमिका को रोकना नहीं चाहते, ना ही चीन या किसी अन्य देश को अपनी अर्थव्यवस्था को विकसित करने और अपनी जनता के हितों की पूर्ति करने से रोकना चाहते हैं।’ लेकिन उन्होंने शिकायत की कि जो संस्थान चीन की कामयाबी में मददगार बने, अब चीन उनकी ही अनदेखी करना चाहता है।

चीन ने जताया ये शक
कूटनीति विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लिंकेन के ताजा भाषण में कही गई कई सद्भावपूर्ण बातों के बावजूद अमेरिका को लेकर चीन की राय नहीं बदलेगी। थिंक टैंक कारनेगी एन्डॉवमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस में सीनियर फेलॉ झाओ तोंग ने ब्रिटिश अखबार द गार्जियन से कहा- ‘चीन की राय में बाइडन प्रशासन की सोच उससे कहीं ज्यादा अंधकारमय है, जितना वह स्वीकार करने को तैयार होता है। खास बात दोनों देशों की समझ के बीच गंभीर खाई है, जिसक वजह से चीन में अमेरिकी इरादे को लेकर शक बढ़ रहा है।’

ब्लिंकेन के भाषण के ठीक पहले अमेरिका स्थित चीनी राजदूत चिन गांग ने चेतावनी दी कि चीन की राय में वन चाइना पॉलिसी ताइवान जलडमरूमध्य इलाके में शांति का बुनियादी आधार है। अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में लिखे एक लेख में उन्होंने कहा- ‘जहां चीन के मुख्य हित की बात हो, हम कोई समझौता नहीं करेंगे। इसलिए अमेरिका की रणनीति में किसी स्पष्टता या अस्पटता पर विचार विमर्श करना समय की बर्बादी है।’