इस्लामाबाद। टीवी चैनल सीएनएन पर इमरान खान का इंटरव्यू प्रसारित होने के बाद अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के अमेरिका विरोधी अभियान के बारे में अधिक चर्चा होने लगी है। इमरान खान का लगभग नौ मिनट का इंटरव्यू इसी हफ्ते प्रसारित हुआ। उसमें इमरान ने ये आरोप दोहराया कि पाकिस्तान में पिछले महीने हुए सत्ता परिवर्तन के पीछे अमेरिका का हाथ था। साथ ही उन्होंने पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारियों से ‘असभ्य लहजे’ में बात करने के आरोप में अमेरिकी मंत्री डॉनल्ड लू को बर्खास्त करने की मांग भी की।
अमेरिका और पाकिस्तान की सेना दोनों ने इमरान खान के आरोपों का खंडन किया है। इसके बावजूद पाकिस्तान में इस मुद्दे पर जनता के बड़े हिस्से का समर्थन इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को मिल रहा है। इस बारे में संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका में पाकिस्तान की राजदूत रह चुकीं मलीहा लोधी ने सीएनएन को बताया- ‘इमरान खान अमेरिका विरोधी भावनाओं का इस्तेमाल अपने पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए कर रहे हैं। उनके वफादार समर्थक तथ्यों को नजरअंदाज कर विदेशी साजिश की उनकी बात पर यकीन करने को तैयार हैं, जबकि इस बारे में कोई सबूत मौजूद नहीं है।’ लोधी ने कहा कि इमरान खान पाकिस्तान में लंबे समय अमेरिका के प्रति दुश्मनी के भाव का फायदा उठा रहे हैं।
विश्लेषकों के मुताबिक अमेरिका के प्रति ऐसी भावना का एक बड़ा कारण अफगानिस्तान की हालत है। पाकिस्तान में बड़ी संख्या में लोग यह ऐसा मानते हैं कि अमेरिका अफगानिस्तान की जमीन से पाकिस्तान को अस्थिर करने में लगा रहा। पाकिस्तान के लोगों में ऐसी भावना कम से कम 2001 से मौजूद है, जब अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया था। उसके बाद 2003 में जब अमेरिका ने इराक पर हमला किया, तो पाकिस्तान सहित तमाम मुस्लिम देशों में ये राय बनी कि अमेरिका ने इस्लाम के खिलाफ जंग छेड़ दी है।
साल 2011 में जब अमेरिकी सुरक्षा बलों ने बिना पाकिस्तान सरकार को भरोसे में लिए एबटाबाद में हमला कर अल-कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मार दिया, तो पाकिस्तान की आबादी के एक बड़े हिस्से ने इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन माना। वहां राय बनी कि अमेरिका पाकिस्तान की भावनाओं का सम्मान किए बिना मनमानी कार्रवाई करता है। उसी साल लाहौर में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के कॉन्ट्रैक्टर रेमंड डेविस की हत्या कर दी गई। इस मुद्दे पर बने तनाव भी अमेरिका और पाकिस्तान की जनता के बीच खाई चौड़ी हुई।
इस्लामाबाद स्थित वकील और स्तंभकार कमाल वट्टू के मुताबिक ऐसी घटनाओं ने दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास को अपूरणीय क्षति पहुंचा दी है। इनकी वजह से ऐसी कहानियां विश्वसनीय हो जाती हैं कि परदे के पीछे से कोई पाकिस्तान के खिलाफ साजिश रच रहा है। अमेरिकी थिंक टैंक ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन में विदेशी नीति संबंधी विशेषज्ञ मदीहा अफजल के मुताबिक यही पुरानी पृष्ठभूमि इमरान खान को मिल रहे समर्थन का कारण है। उन्होंने कहा- ‘यह लंबे इतिहास का एक हिस्सा है, जिसमें पश्चिमी साजिश की कहानियां पाकिस्तान में घर जमाती गई हैं। यह ऐसी बात होती है, जिस पर लोग आंख मूंद कर भरोसा कर लेते हैं।’