कीव। खबरों के मुताबिक यूक्रेन की सेना के सामने कुआं या खाई में से एक के चुनाव की स्थिति खड़ी होती दिख रही है। दोनबास इलाके से मिल रही खबरों के मुताबिक अब या तो सेना को वहां से लौटना होगा या फिर सैनिकों को रूसी फौज के हाथों कत्ल-ए-आम के लिए खुद को तैयार करना होगा।
बताया जाता है कि इस परिस्थिति के कारण यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमीर जेलेंस्की एक बड़ी दुविधा में फंस गए हैं। उनकी सरकार ने जो प्रचार अभियान चलाया, उससे देश में बड़ी संख्या में लोग मानते हैं कि यूक्रेन की सेना युद्ध जीतने की स्थिति में है। पिछले 24 मई को जारी हुए एक जनमत सर्वेक्षण के मुताबिक पूर्वी यूक्रेन में 68 फीसदी और दक्षिणी यूक्रेन में 83 विरोधी लोगों ने युद्ध खत्म करने के लिए रूस को कोई इलाका देने के खिलाफ राय जताई।
पिछले दिनों अमेरिका के वरिष्ठ राजनेता और कूटनीति के दिग्गज हेनरी किसिंजर ने सुझाव दिया कि यूक्रेन को दोनबास इलाका रूस को सौंप कर शांति वार्ता में शामिल हो जाना चाहिए। पूर्व विदेश मंत्री किसिंजर ने चेतावनी दी कि ऐसा ना करने पर यूरोप में बड़े पैमाने पर अस्थिरता पैदा होने का अंदेशा है। किसिंजर के इस बयान पर जेलेंस्की ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि किसिंजर अतीत में जी रहे हैं।
लेकिन रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि किसिंजर की सलाह कठोर तथ्यों पर आधारित है। दोनबास इलाके में रूस ने अपनी सैनिक कार्रवाई तेज कर दी है। तेजी से रूसी सेना उस क्षेत्र के शहरों और बस्तियों को अपने कब्जे में लेती जा रही है। दोनबास में लड़ाई तेज होने की बात यूक्रेन की उप रक्षा मंत्री हना मलयार ने भी स्वीकार की है।
वेबसाइट एशिया टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक लड़ाई में पलड़ा अब रूस की तरफ झुकता जा रहा है। गुरुवार को अमेरिकी थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर ने चेतावनी दी कि सेवेरोदोनेत्स्क के आसपास रूसी सेना तेजी से आगे बढ़ रही है। वह सेवेरोदोनेत्स्क- लिसिचान्स्क क्षेत्र को घेर लेने की कोशिश में है। बताया जाता है कि 24 फरवरी को युद्ध शुरू होने से पहले सेवेरोदोनेत्स्क शहर की आबादी एक लाख से ऊपर थी। अब वहां सिर्फ 15 हजार लोग बचे हैं।
ब्रिटेन की खुफिया सूचनाओं में भी दोनबास में बन रही हालत को लेकर चिंता जताई गई है। ब्रिटेन के खुफिया अपडेट (ताजा जारी सूचना) पर आरोप रहा है कि उसमें आम तौर पर रूसी सफलता को कम करके दिखाया जाता है। लेकिन शुक्रवार को इस अपडेट में कहा गया कि रूसी सेना ने पोपास्ना के आसपास कई गांवों पर कब्जा जमा लिया है।
एशिया टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रूस ने आरंभ से ही धीरे-धीरे आगे बढ़ने की रणनीति अपनाई। इससे पश्चिमी देशों में ये धारणा बनी कि अपने पुराने पड़ गए हथियारों की वजह से रूसी सेना यूक्रेन में फंस गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक शुरुआत में रूसी कमांडरों ने कुछ गलतियां भी कीं। लेकिन अब उन्होंने उससे सीख लेकर हमले को अधिक धारदार बना दिया है। इससे दोनबास यूक्रेन के हाथ से निकलने का अंदेशा गहरा गया है, हालांकि जेलेन्स्की इसे सच को स्वीकार करने को तैयार नहीं दिख रहे हैँ।