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देवबंद। देवबंद में जमीयत के अधिवेशन के प्रथम चरण में कई प्रस्ताव पेश किए गए, साथ ही कुछ अहम सुझाव दिए गए। अधिवेशन के दूसरे दिन आज कॉमन सिविल कोड पर भी प्रस्ताव रखा गया। इस दौरान मौलानाओं ने कहा कि कॉमन सिविल कोड किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं है। जमीयत उलमा-ए-हिंद के दो दिवसीय अधिवेशन में उलमा देश के मौजूदा हालात समेत अनेक मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। अंतिम दिन आज कई अहम प्रस्तावों पर मुहर लगेगी, कई अहम निर्णय भी लिए जाएंगे।

वही अधिवेशन के पहले दिन देश में नफरत के बढ़ते हुए दुष्प्रचार को रोकने के उपायों पर विचार किए जाने और इस्लामोफोबिया की रोकथाम के विषय में प्रस्ताव व सुझाव प्रतिनिधियों के समक्ष रखा गया। सद्भावना मंच को मजबूत करने पर विचार संबंधी प्रस्ताव रखा गया। जिसके तहत विभिन्न धार्मिक संप्रदायों के लोगों की संयुक्त बैठक करना, आम नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करना, मजदूर भाइयों, किसानों और पिछड़े लोगों की सेवा करना, अनाथ, विधवाओं और मजबूर लोगों की मदद करना, नवयुवकों को नशे की आदत और यौन भटकाव से बचाने के लिए मिलजुलकर प्रयास करना, संवेदनशील धार्मिक मुद्दों (जैसे गोरक्षा, धर्मस्थलों में लाउडस्पीकर का उपयोग, त्योहारों के मौके पर सार्वजनिक जगहों का इस्तेमाल) आदि की समस्या कहीं हो तो उसका शांतिपूर्ण समाधान खोजना आदि सुझाव पेश किए गए। इस सभी सुझावों पर प्रस्ताव पारित किए जाएंगे, जिस पर आज अंतिम चरण के अधिवेशन में मुहर लगेगी।

ज्ञानवापी मजिस्द समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा होगी
जमीयत के राष्ट्रीय अधिवेशन में देश के चर्चित मुद्दे ज्ञानवापी मस्जिद सहित अन्य धार्मिक स्थलों, वर्तमान देश के हालात सहित अन्य मुद्दे पर चर्चा के उपरांत प्रस्ताव पारित किया जा सकता है। अधिवेशन के दूसरे या तीसरे चरण में इनको लेकर अहम निर्णय लेने की संभावना है। हालांकि अभी इस पर संगठन का कोई भी पदाधिकारी खुलकर कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है। देशभर की मीडिया की नजरें भी ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर जमीयत के अधिवेशन पर टिकी हुई हैं। 

हर वर्ष 15 मार्च को मनाया जाएगा विश्व इस्लामोफोबिया दिवस 
अधिवेशन में जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से वक्ताओं ने वर्तमान हालात पर चिंता जताते हुए कुछ उपाय सुझाए। जिसमें वर्ष 2017 में प्रकाशित विधि आयोग की 267 वीं रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा भड़काने वालों और सभी अल्पसंख्यकों को विशेष रूप से दंडित करने के लिए एक अलग कानून बनाया जाना चाहिए। विशेष रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यकों को सामाजिक और आर्थिक रूप से अलग-थलग करने के प्रयासों को विफल किया जाना चाहिए। इस अधिवेशन में हर साल 15 मार्च को विश्व इस्लामोफोबिया दिवस मनाने की भी घोषणा की गई।

शादियों में फिजूलखर्ची पर लगे प्रतिबंध
जमीयत के मंच से समाज सुधार को लेकर भी विचार रखे गए। मौलाना मोअज्जम ने इस्लाही मुआशरा (समाज सुधार) को लेकर रिपोर्ट पेश की, साथ ही इस बात पर जोर दिया कि शादियों में होने वाली फिजूलखर्ची पर प्रतिबंध लगाया जाए। इसके साथ ही समाज में फैल रही कुरीतियों जैसे नशाखोरी, बाल मजदूरी सहित अन्य मुद्दों पर ध्यान दिलाया और इन्हें समाप्त करने पर जोर दिया। 

धर्म के खिलाफ उन्माद फैलाने वाले चैनलों पर लगे प्रतिबंध : मंसूरपुरी
जमीयत उलमा-ए-हिंद के उपाध्यक्ष मौलाना सलमान मंसूरपुरी ने इस्लाम धर्म के खिलाफ जारी नफरत (इस्लामोफोबिया) से संबंधित मुद्दे पर कहा कि मुसलमान अपने रवैये से ये साबित करने की कोशिश करें कि वे सिर्फ अपने धर्म को ही सर्वोपरि नहीं मानते। इस्लाम के विश्वबंधुत्व के संदेश को आम किया जाए। अंतर धार्मिक संवाद को बढ़ाने के भी प्रयास किए जाए। मुसलमान अपने क्रियाकलापों से इस्लाम के सही पैरोकार बनें। सरकार ऐसे मेनस्ट्रीम और यूट्यूब चैनलों पर रोक लगाए जो इस्लाम धर्म के खिलाफ उन्माद फैलाते हैं।
 
हमारे दिल बंट जाएंगे तो फिर मंदिरों-मस्जिदों का क्या होगा: नियाज
जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय सचिव मौलाना नियाज अहमद फारूकी ने आपसी सौहार्द का संदेश देते हुए कहा कि अगर हम अपने दिलों को बांट देंगे तो फिर इन मंदिरों और मस्जिदों का क्या होगा।

शनिवार को अधिवेशन के प्रथम चरण खत्म होने के बाद मीडिया से बातचीत में मौलाना नियाज अहमद फारूकी ने कहा कि वर्तमान में हमारा देश धार्मिक भेदभाव और नफरत की आग में जल रहा है। देश में इस्लामोफोबिया और मुस्लिम विरोधी उकसावे की घटनाएं बढ़ रही हैं। राजनीतिक वर्चस्व के लिए बहुसंख्यकों की धार्मिक भावनाओं को अल्पसंख्यकों के खिलाफ उत्तेजित करना देश के साथ दुश्मनी है। ऐसे में मुस्लिमों से अपील है कि वह प्रतिक्रियावादी रवैया अपनाने के बजाय एकजुट होकर राजनीतिक स्तर पर चरमपंथी फासीवादी ताकतों का मुकाबला करें। 

अधिवेशन में 25 राज्यों से आए पदाधिकारी  
जमीयत के अधिवेशन में 25 राज्यों से दो हजार से अधिक पदाधिकारियों ने शिरकत की है। इसमें असम, त्रिपुरा, मणिपुर, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, झारखंड, उत्तराखंड, तमिलनाडु, गुजरात, जम्मू एवं कश्मीर, राजस्थान सहित अन्य राज्यों से जमीयत से जुड़े पदाधिकारी व सदस्य अधिवेशन में शामिल हुए। इनमें प्रमुख रुप से एआईयूडीएफ के प्रमुख व सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल, पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री मौलाना सिद्दीक उल्लाह चौधरी, मौलाना जावेद देहलवी, मौलाना अजीमुल्लाह सिद्दीकी, मो. अनवर, प्रोफेसर अब्दुल माजिद, मौलाना रहमतुल्लाह कश्मीरी, मुफ्ती इफ्तेखार केरलवी, मौलाना हकीमुद्दीन, मौलाना साबिर कासमी, मौलाना मोअज्जम आरिफी आदि शामिल हैं। 
 
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम 
अधिवेशन को लेकर पुलिस और प्रशासन स्तर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। प्रदेश की सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों से जुड़े अधिकारी अधिवेशन स्थल पर मौजूद हैं पीएसी बल के साथ पुलिस अधिकारी गश्त कर रहे हैं। सुरक्षा की दृष्टि से जगह जगह पुलिस बल तैनात किया गया है।