वाशिंगटन। अब तमाम संकेत हैं कि यूक्रेन की सेना डोनबास इलाके में रूस के हाथों बड़ी हार की तरफ बढ़ रही है। रक्षा विश्लेषकों की राय है कि अगर रूस की सेना ने अजोव सागर से लगे इस इलाके में जीत हासिल करने के बाद यूक्रेन की फौज को घेर लिया, तो यूक्रेन सरकार को रूस के साथ उसकी शर्तों के मुताबिक समझौता करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
डोनबास इलाके में बनी ताजा हालत की झलक अब अमेरिकी और यूरोपीय मीडिया में भी देखने को मिलने लगी है। पर्यवेक्षकों के मुताबिक इसकी शुरुआत पिछले हफ्ते हुई, जब अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने एक संपादकीय में अमेरिका सरकार को यूक्रेन में बने ठोस हालात को स्वीकार करने की सलाह दी।
पश्चिम की हार!
रक्षा विश्लेषकों के मुताबिक अगर रूस सचमुच यूक्रेन को अपनी शर्तों के मुताबिक समझौते के लिए मजबूर कर देता है, तो उससे पश्चिमी देशों के लिए बेहद असहज स्थिति बनेगी। पश्चिमी नेताओं और मीडिया ने बीते तीन महीनों में आम तौर पर यूक्रेन के दावों को एकतरफा ढंग से प्रचारित किया है कि उसकी सेना ने रूसी फौज के दांत खट्टे कर रखे हैं। अब उसके विपरीत तस्वीर सामने आना एक तरह की पश्चिम की हार के रूप में भी देखा जाएगा।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अब पश्चिमी रक्षा हलकों में ऐसी सूरत के परिणामों पर चर्चा शुरू हो गई है। इस दौरान ये आशंका जताई गई है कि अगर यूक्रेन हार गया, तो यह नाटो (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) की प्रतिष्ठा के लिए एक बड़ा झटका होगा। उसके बाद नाटो की सदस्यता का आकर्षण घट जाएगा। इसी आशंका के कारण अब अमेरिका यूक्रेन को नए प्रकार के हथियार और धन भेजने का फैसला तेज रफ्तार से ले रहा है।
वेबसाइट एशिया टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमीर जेलेंस्की अब रूस के साथ समझौते की जमीन तैयार करने में जुट गए हैं। जेलेंस्की ने युद्ध शुरू होने के कुछ समय बाद ही संकेत दिया था कि वे समझौते के लिए तैयार हैं। तभी रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडलों के बीच टर्की में बातचीत हुई थी, जो नाकाम रही। एशिया टाइम्स के मुताबिक तब जेलेंस्की नव-नाजीवादी अजोव ब्रिगेड के लड़ाकों के दबाव में थे। लेकिन मरियापोल पर रूस का कब्जा होने के बाद इस ब्रिगेड के ज्यादातर लड़ाके रूस के कैंप कारावास में पहुंच गए हैं। इसलिए अब जेलेंस्की पर समझौता ना करने का पहले जैसा दबाव नहीं रह गया है।
क्या यूक्रेन के हाथ से निकल जाएगा डोनबास?
अमेरिकी मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक अमेरिका को यूक्रेन में बन रहे हालात का आभास मई के पहले हफ्ते में ही हो गया था। तभी 13 मई को अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू को फोन किया था। खबरों के मुताबिक इस वार्ता के दौरान उन्होंने शोइगू से यूक्रेन में युद्धविराम करने का आग्रह किया। इसके बाद 19 को अमेरिकी सेना प्रमुख मार्क मिले ने रूसी सेनाध्यक्ष वलेरी जेरासिमोव से फोन पर बातचीत की। दोनों के बीच क्या बात हुई, इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई।
लेकिन मीडिया में जो सूचना आई है, उसका संकेत है कि पश्चिमी राजधानियों में अब यह स्वीकार किया जाने लगा है कि डोनबास इलाका यूक्रेन के हाथ से निकलने वाला है। उसके बाद क्या बेहतर विकल्प हैं, इस पर भी चर्चा शुरू हो गई है।