हांगकांग। चीन के उत्तर पश्चिमी प्रांत शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों के मानवाधिकारों के हनन व उन पर अत्याचारों में देश का शीर्ष नेतृत्व पूरी तरह से लिप्त है। चीन की पुलिस और बंदी शिविरों (concentration camps) से लीक हुए हजारों दस्तावेजों से इसकी पुष्टि हुई है। इनसे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के शीर्ष नेतृत्व व राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।
शिनजियांग के बदनाम बंदी शिविरों में उइगर मुस्लिमों को व्यावसायिक कौशल और प्रशिक्षण के नाम पर रखा जाता है। 2018-19 में यह सिलसिला चरम पर था। 2020 तक 20 लाख लोगों को इन शिविरों में रखा गया। उधर, चीन की सरकार का दावा है कि इन शिविरों में बंदियों के दिल-दिमाग को साफ कर उन्हें काम में लगाया जाता है।
लीक दस्तावेजों के आधार पर आई मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2017 के बाद से इन शिविरों में बड़ी संख्या में बंदी रखे गए हैं। इन शिविरों में उइगरों प्रशिक्षुओं को दंडित किया जाता है। कई को बिना किसी कारण के हिरासत में लिया जाता है। इन्हें चीन के प्रति अविश्वसनीय माना जाता है।
भागने का प्रयास करने पर मार देते हैं गोली
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शिनजियांग पुलिस की लीक फाइल्स (Xinjiang Police leak Files) में उइगर मुस्लिमों पर किए जा रहे अत्याचार की पूरी तस्वीर साफ हो गई है। शिनजियांग में चीन ने उइगर मुस्लिमों को बंदी रखने के लिए कई शिविर बनाए गए हैं। उन पर अत्याचार की खबरें आती रहती हैं। हालांकि, चीन इन शिविरों को शिक्षा या पुनर्वास केंद्र बताता है।
मामूली झगड़े में मिलती है लंबी सजा
चीन में उइगुर मुसलमानों को आपसी झगड़े जैसे मामूली या झूठे आरोप तक में 5 से 25 साल तक की कैद दी जाती है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जांच राज्य में साल 2014 के बाद से लंबी सजा के लिए उन पर आतंक फैलाने, अलगाववाद और नफरत फैलाने के आरोप लगाने के मामले तेजी से बढ़े हैं।
कौन हैं उइगर मुसलमान?
उइगर मुस्लिम अल्पसंख्यक तुर्क जातीय समूह से ताल्लुक रखते हैं। ये मूल रूप से मध्य और पूर्व एशिया के निवासी हैं। इनकी भाषा तुर्की है। चीन में जिन 55 अल्पसंख्यक समुदायों को आधिकारिक पर मान्यता दी गई है, उइगर उनमें से ही एक हैं। उइगरों की सबसे ज्यादा आबादी शिनजियांग क्षेत्र में रहती है।