Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

tranding

बीजिंग। अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेंसी (आईएईए) चीन की इस शिकायत पर चर्चा करेगी कि 'ऑकस' अलायंस के तहत अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बियों की आपूर्ति परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) का उल्लंघन है। एक वरिष्ठ चीनी अधिकारी ने मंगलवार को कहा। 

चीन ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन के बीच हुए 'ऑकस' समझौते का कड़ा विरोध करता रहा है जिसके तहत अमेरिका और ब्रिटेन रणनीतिक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बीजिंग के बढ़ते प्रभाव को कुंद करने के लिए ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बियों को हासिल करने में मदद करने करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। 

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान के मुताबिक, "तीसरी बार आईएईए बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक ने ऑकस के संदर्भ में परमाणु सामग्री के हस्तांतरण और चीन द्वारा बुलाए गए एनपीटी के तहत सभी पहलुओं में इसके सुरक्षा उपायों पर चर्चा करने के लिए एक औपचारिक एजेंडा स्थापित करने के लिए सर्वसम्मति से निर्णय लिया।"

उन्होंने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि यह एक स्पष्ट संकेत है कि ऑकस परमाणु पनडुब्बी सहयोग में शामिल हथियार- ग्रेड परमाणु सामग्री के हस्तांतरण ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया और यह गंभीर चिंता का विषय है। 

झाओ ने कहा, "ऑकस परमाणु पनडुब्बी सहयोग गंभीर परमाणु प्रसार जोखिम का गठन करता है, अंतरराष्ट्रीय अप्रसार प्रणाली को एक झटका देता है, हथियारों की दौड़ तेज करता है और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को कमजोर करता है। 

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "ऑकस सहयोग के संदर्भ में सुरक्षा उपायों का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय अप्रसार प्रणाली पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है और सभी सदस्य देशों के हितों से जुड़ा है। इसलिए इस मामले पर सभी सदस्य देशों द्वारा चर्चा के जरिए निर्णय लिया जाना चाहिए।"

झाओ ने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया को अपने परमाणु अप्रसार दायित्वों को ईमानदारी से पूरा करना चाहिए, इस अंतर-सरकारी चर्चा प्रक्रिया को विफल करने के बजाय समर्थन करना चाहिए और पार्टियों के आम सहमति तक पहुंचने से पहले परमाणु पनडुब्बी सहयोग करने से बचना चाहिए। 

चीन लगभग पूरे विवादित दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है। वह सभी हिस्सों ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम पर दावा करता है। बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं।