वाशिंगटन। लगभग तीन महीनों तक यूक्रेन में रूस को बड़ा नुकसान होने की कहानी दुनिया को बताने के बाद अमेरिका अब अपनी छवि बचाने की कोशिश में जुटा दिख रहा है। अब अमेरिकी अधिकारी और मीडिया यूक्रेन में हो रहे नुकसान के लिए वहां के राष्ट्रपति वोलोदीमीर जेलेंस्की को दोषी बताने लगे हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए चंदा जुटाने के मकसद से लॉस एंजिल्स में हुई एक सभा में खुद राष्ट्रपति जो बाइडन ने आरोप लगाया कि जेलेंस्की ने रूसी हमले के बारे में अमेरिकी चेतावनियों पर ध्यान नहीं दिया था।
वेबसाइट एशिया टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी बयानों से यूक्रेन के अधिकारी नाराज हैं। उन्होंने ध्यान दिलाया है कि बीते 25 अप्रैल को अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कीव आकर ये घोषणा की थी कि अमेरिका युद्ध छेड़ने की रूसी क्षमता को नष्ट कर देना चाहता है। उसके लगभग एक महीने बाद राष्ट्रपति बाइडन ने एक ट्विट में कहा था कि प्रतिबंधों के कारण रूसी अर्थव्यवस्था घट कर आधी हो जाने के कगार पर है।
यूक्रेन की सैन्य क्षमता पर उठाए सवाल
इस बीच दोनबास इलाके में रूसी फौज आगे बढ़ती रही। अब सेवेरोदोनेत्स्क शहर से भी उसने यूक्रेन की सेना को खदेड़ दिया है। तो अब अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के अधिकारियों कहा है कि रूसी सेना के तोपखाने, पैदल सेना, बख्तरबंद दस्ते, और वायु सेना में बेहतर तालमेल बन गया है। उधर यूक्रेन ने यह स्वीकार किया है कि युद्ध में रोजाना उसके 100 से 200 सैनिक मारे जा रहे हैं।
विश्लेषकों के मुताबिक नए हालात साफ होने के बाद अमेरिका में जुबान बदलने लगी है। इसका पहला संकेत आठ जून को अखबार न्यूयॉर्क टिम्स की एक रिपोर्ट से मिला। उस रिपोर्ट में कहा गया- अमेरिकी खुफिया तंत्र के पास उससे कम सूचनाएं हैं, जितनी उन्हें अपने पास रखनी चाहिए। सीआईए के पूर्व अधिकारी बेथ सैनर ने इस अखबार से कहा- ‘यूक्रेन का युद्ध में कैसा प्रदर्शन है, इस बारे में हम असल में कितना जानते हैं? क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति से मिल सकते हैं, जो भरोसे के साथ ये बताए कि यूक्रेन के कितने फौजी मारे गए हैं और उसके कितने उपकरण नष्ट हुए हैं?’
यूक्रेन कुछ इलाके रूस को दे और युद्धविराम करे
इसके पहले कूटनीति के दिग्गज समझे जाने वाले पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर यह सलाह दे चुके थे कि अमेरिका को रूस की सुरक्षा संबंधी चिंताओं का ख्याल करना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा था कि यूक्रेन को अपने कुछ इलाके देकर रूस से युद्धविराम कर लेना चाहिए। अब यही राय नाटो (नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन) के महासचिव जेंस स्टोलटेनबर्ग भी जताने लगे हैं। युद्ध के आरंभिक दिनों में रूस के खिलाफ अपने आक्रामक रुख के लिए चर्चित हुए स्टोलटेनबर्ग ने 12 जून को फिनलैंड में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा- ‘यूक्रेन में शांति संभव है। इस सिलसिले में अकेला प्रश्न यह है कि शांति की आप कितनी कीमत चुकाने को तैयार हैं।’
एशिया टाइम्स के मुताबिक अब अमेरिका में कोरिया की तर्ज पर युद्धविराम लागू करने के फॉर्मूले पर विचार हो रहा है। 1950 के दशक में कोरिया युद्ध का खात्मा बिना पूर्ण शांति संधि किए युद्धविराम के लिए बनी सहमति के आधार पर हुआ था। अमेरिकी सुरक्षा हलकों में असर रखने वाले जर्नल नेशनल इंटेरेस्ट में छपे एक आलेख में कहा गया है कि कोरियाई तर्ज पर युद्धविराम के लिए यूक्रेन को राजी करने की जिम्मेदारी अब अमेरिका पर है। विश्लेषकों का कहना है कि ऐसी सहमति से यूक्रेन के पास यह कहने को होगा कि उसने हार स्वीकार नहीं की है, जबकि रूस को दोनबास इलाका मिल जाएगा।