इस्लामाबाद। संकेत हैं कि हाल में आम जनता पर बोझ डालने वाले तमाम सख्त कदम उठाने के बावजूद पाकिस्तान सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का भरोसा हासिल कर पाने में अब तक नाकाम है। इसका साफ संकेत प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने दिया। शरीफ ने पाकिस्तान के प्रति आईएमएफ के अविश्वास के लिए पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को दोषी ठहराया। आर्थिक विशेषज्ञों की राय है कि आईएमएफ से कर्ज की अगली किस्तें पाने में नाकामी से पाकिस्तान बेहद गहरे संकट में फंस जाएगा।
प्रधानमंत्री शरीफ से पहले पूर्व वित्त मंत्री और विपक्षी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के नेता शौकत तरीन ने भी ये संकेत दिया था कि आईएमएफ के साथ बातचीत में अड़चने आ गई हैं। तौरीन ने ये बात शरीफ सरकार के कुछ मंत्रियों के उत्साहजनक बयानों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कही थी। मंत्रियों ने आईएमएफ से कर्ज मिलने को लेकर ऊंची उम्मीदें जताई थीं। कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि इस बारे में सहमति बन गई है, जिसका एलान इस हफ्ते हो जाएगा। लेकिन बुधवार को शौकत तरीन ने कहा कि आईएमएफ से समझौता होने में अभी कई हफ्ते लगेंगे। उन्होंने कहा था- अभी मैं ऐसा समझौता होने के लिए सिर्फ दुआ ही कर सकता हूं, जिससे गरीबों पर बोझ ना पड़े।
आईएमएफ को पाकिस्तान सरकार पर भरोसा नहीं
गुरुवार को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सत्ताधारी पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के सीनेटरों को संबोधित किया। उस दौरान उन्होंने साफ कहा कि आईएमएफ पाकिस्तान सरकार पर भरोसा करने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह पिछली सरकार का व्यवहार है। शरीफ ने कहा कि पूर्व इमरान खान सरकार ने आईएमएफ के साथ कर्ज लेने के लिए करार किया था। समझौते में ये बात शामिल थी कि ईंधन का दाम बढ़ाया जाएगा। लेकिन इमरान खान सरकार ने ऐसा नहीं किया।
शरीफ ने सीनेटरों के सामने देश की आर्थिक बदहाली की तस्वीर पेश की। उन्होंने कहा- ‘हम बहुत कठिन समय में हैं। देश को आगे और भी मुश्किल दिनों का सामना करना पड़ेगा।’ शरीफ ने कहा कि अगर आईएमएफ से समझौता हो जाए, तो उससे विश्व बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक, और इस्लामी देशों से भी कर्ज मिलने का रास्ता निकलेगा। उन्होंने कहा- ‘हम बार-बार चीन और सऊदी अरब से पैसा देने को नहीं कह सकते। ये देश भी सोचते होंगे कि आखिर पाकिस्तान कब अपने पैरों पर खड़ा होगा।’
टैक्स का दायरा बढ़ाने की योजना
चीन ने पिछले हफ्ते पाकिस्तान को 2.3 बिलियन डॉलर की सहायता देने का समझौता किया है। इससे पाकिस्तान को फौरी राहत मिली है। लेकिन शरीफ ने कहा- ‘आखिर चीन भी कब तक हमारी मदद करता रहेगा।’ वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू मे कहा है कि आईएमएफ का कर्ज पाने के लिए सरकार ने देश में टैक्स का दायरा बढ़ाने की योजना बनाई है। उसका लक्ष्य 7.45 खरब रुपये का टैक्स वसूल करना है।
पाकिस्तान किस बदहाली में है, इसका संकेत पूर्व वित्त मंत्री शौकत तरीन ने भी दिया है। उन्होंने बताया कि इस वित्त वर्ष में देश में मुद्रास्फीति की दर 35 से 40 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी। उधर सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर एक से दो प्रतिशत तक रहेगी।ा