ब्रसेल्स। रूस की जवाबी कार्रवाई से यूरोप में ऊर्जा संकट बेहद गंभीर रूप लेता दिख रहा है। रूस ने नॉर्ड स्ट्रीम-1 पाइपलाइन से प्राकृतिक गैस की सप्लाई में 40 फीसदी की कटौती कर दी है। उसके इस कदम के बाद जर्मनी सरकार ने यूरोप के ऊर्जा बाजार में ‘लीमैन ब्रदर्स’ जैसा संकट खड़ा होने की चेतावनी दी। लीमैन ब्रदर्स अमेरिका का इन्वेस्टमेंट बैंक था। सितंबर 2008 में इसी बैंक के दिवालिया होने के साथ अमेरिका में आर्थिक मंदी की शुरुआत हुई थी, जो देखते-देखते सारी दुनिया में फैल गई।
रूस ने नॉर्ड स्ट्रीम-1 से गैस सप्लाई में कटौती का एलान 22 जून को किया। उसके पहले यूरोपियन यूनियन (ईयू) के सदस्य देश लिथुआनिया ने बाल्टिक सागर में स्थित रूसी बस्ती कैलिनग्राद तक जाने वाली सप्लाई पर रोक लगाने की घोषणा की थी। लिथुआनिया के मुताबिक रूस के खिलाफ प्रतिबंध संबंधी नए फैसले के तहत उसने ये कदम उठाया है। लिथुआनिया सरकार ने कहा कि उसने कोयला, धातु, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंस्ट्रक्शन सामग्रियों और अन्य वस्तुओं की सप्लाई रोक दी है। उसने कहा कि खाद्य पदार्थों और दवाओं की सप्लाई नहीं रोकी गई है। लेकिन रूस ने दावा किया है कि खाद्य और दवाओं को भी लिथुआनिया कैलिनग्राद नहीं पहुंचने दे रहा है।
नॉर्ड स्ट्रीम-1 पाइपलाइन से गैस की सप्लाई घटाई
ईयू ने 17 जून को अपनी बैठक में रूस पर प्रतिबंध और सख्त बनाने का फैसला किया था। नॉर्ड स्ट्रीम-1 पाइपलाइन से गैस की सप्लाई घटने के बाद जर्मनी में आर्थिक संकट और बढ़ने की स्थिति बन गई है। 23 जून को वहां जारी मार्किट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स से सामने आया कि कारखाना उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज हुई है। उधर नीदरलैंड्स में प्राकृतिक गैस की कीमत बीते फरवरी के बाद के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है। जर्मनी के वायदा कारोबार बाजाच में बिजली शुल्क में भी भारी बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
जर्मनी के ऊर्जा मंत्री रॉबर्ट हैबेक ने गुरुवार को कहा कि अगर प्राकृतिक गैस की सप्लाई सामान्य नहीं हुई, तो अगली सर्दियों में जर्मनी गंभीर संकट में फंस जाएगा। उन्होंने संभावित स्थिति की तुलना लीमैन ब्रदर्स के दिवालिया होने से पैदा हुए संकट से की। हैबेक ने चेतावनी दी है कि गैस की मांग के मुताबिक सप्लाई संभव नहीं रह जाएगी। उसका जर्मनी के कारखानों पर बहुत खराब असर होगा।
सर्दियों में पड़ेगी जर्मनी के लोगों पर मार
वेबसाइट एशिया टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूरोप में गैस और तेल सप्लाई करने वाली कंपनियां कारखानों और घरेलू उपभोक्ताओं से लंबी अवधि का करार करती हैं। उसके मुताबिक उन्हें तय अवधि तक पूर्व निर्धारित दर से ऊर्जा की सप्लाई करनी पड़ती है। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ऊर्जा कंपनियों को महंगी गैस खरीद कर पूर्व निर्धारित दर सप्लाई करनी पड़ी, तो उनके दिवालिया होने की नौबत आ जाएगी। रॉबर्ट हैबेक ने इसी आशंका की तरफ इशारा किया है।
जर्मनी के अखबार डाय वेल्ट ने अपनी गणना के आधार पर भविष्यवाणी की है कि इस साल सर्दियों में जर्मन घरों की हीटिंग (गर्म रखने) की कीमत 2020 की तुलना में 2,640 यूरो ज्यादा बैठेगी। अखबार ने कहा है कि ज्यादातर जर्मनीवासियों की क्षमता इतनी नहीं है कि वे इतनी महंगी कीमत चुका सकें। जर्मनी के 4.4 फीसदी परिवारों को वंचित श्रेणी में रखा जाता है। जबकि एक तिहाई परिवारों के पास सिर्फ कुछ हफ्तों तक के उपभोग की कीमत चुकाने लायक ही बचत है।