कोलंबो। श्रीलंका में आर्थिक संकट के कारण वहां का शराब उद्योग भी मुसीबत में है। देश में वैध शराब के कारोबार में भारी गिरावट आई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक शराब की मांग 30 फीसदी तक गिर गई है। इसका असर सरकार के राजस्व पर भी पड़ा है। शराब पर लगने वाला टैक्स श्रीलंका की सरकार की आमदनी का एक बड़ा स्रोत रहा है।
श्रीलंकाई संसद की सार्वजनिक वित्त समिति (सीओपीएफ) के ताजा आंकड़ों से शराब उद्योग के खस्ताहाल होने की बात सामने आई है। सीओपीएफ के अध्यक्ष और सांसद अरुणा प्रियाधर्शना यापा के मुताबिक शराब की बिक्री घटने का नतीजा है कि सरकार को परोक्ष करों से होने वाली आय घट गई है और श्रीलंका जैसे देश के लिए यह एक बड़ा मुद्दा है। प्रियधर्शना यापा ने वेबसाइट इकॉनमीनेक्स्ट.कॉम से बातचीत में कहा कि प्रत्यक्ष करों की वसूली में भी गिरावट आई है। इस वजह से सरकार के लिए कई तरह के भुगतान करने में दिक्कत आ रही है।
शराब उद्योग से जुड़े लोगों के मुताबिक हाल में हर महीने शराब की मांग गिरती चली गई है। इस वजह से शराब पर लगने वाले उत्पाद टैक्स से सरकार को होने वाली आय में 24.8 प्रतिशत की कमी आई है। पहले इस टैक्स से सरकार को तकरीबन नौ अरब रुपये प्राप्त होते थे, जबकि इस साल मई में उसे सिर्फ 6.7 अरब रुपये की आमदनी ही हुई।
सरकार के उत्पाद विभाग की प्रवक्ता कपिला कुमारासिंघे ने वेबसाइट इकॉनमी नेक्स्ट को बताया- ‘देश में महंगाई पहले की तुलना में काफी ज्यादा है। इसलिए हम यह मान कर चल रहे हैं कि गैर जरूरी चीजों की मांग घटेगी।’ शराब उद्योग ने हाल में तीन बार कीमतें बढ़ाईं। ऐसा उत्पादन की लागत बढ़ने के कारण करना पड़ा। दाम बढ़ने का असर भी शराब की मांग पर पड़ा है।
अर्थशास्त्रियों के मुताबिक श्रीलंका में लगभग सभी लोगों की वास्तविक आय घटी है। अब बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जिन्हें अपनी आमदनी अत्यधिक जरूरी चीजों पर खर्च करनी पड़ रही है। नतीजा यह है कि वे ऐसी चीजों की खपत घटा रहे हैं, जिनके बिना काम चल सकता है। या फिर वे ऐसी चीजों के सस्ते विकल्प ढूंढ रहे हैँ। समझा जाता है कि हाल में श्रीलंका में अवैध शराब की खपत बढ़ी है।
शराब कारोबार से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया- ‘श्रीलंका में शराब पीने वाले कुल लोगों के बीच पहले 55 फीसदी वैध शराब पीते थे। 45 प्रतिशत लोग अवैध शराब का सेवन करते थे। अब महंगाई और वास्तविक आय में गिरावट की वजह से मुमकिन है कि अवैध शराब पीने वालों की संख्या 70 प्रतिशत तक पहुंच जाए।’
इस बीच शराब बनाने में काम आने वाले कच्चे माल की कीमतें भी तेजी से चढ़ी हैं। उर्वरक संकट के कारण इथेनॉल की सप्लाई घटी है, जिसका शराब बनाने में प्रमुख रूप से इस्तेमाल होता है। उर्वरक संकट के कारण गन्ने और मक्के की खेती में और गिरावट आने का अंदेशा है। इन अनाजों से ही इथेनॉल बनाया जाता है। इस स्थिति के कारण शराब उद्योग से जुड़े लोगों को हालत में जल्द सुधार की आशा नहीं है।