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बर्लिन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मनी के श्लॉस एलमाऊ में जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। यहां उन्होंने अमेरिका, फ्रांस और कनाडा के राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात के बाद भाषण भी दिया। मोदी ने कहा, "जी7 में 'बेहतर भविष्य में निवेश: जलवायु, ऊर्जा, स्वास्थ्य' विषय पर अपने संबोधन के दौरान कहा, "एक भ्रांति है कि गरीब देश...पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। लेकिन भारत का 1000 से अधिक वर्षों का इतिहास इस दृष्टिकोण का पूरी तरह से खंडन करता है। प्राचीन भारत ने अपार समृद्धि का समय देखा है।"

उन्होंने कहा, "हमने सदियों की गुलामी भी सहन की है। अब स्वतंत्र भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है। विश्व की 17% जनसंख्या भारत में निवास करती है। लेकिन, वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में हमारा योगदान केवल 5% है।"

जी7 शिखर सम्मेलन से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास गए और उनका अभिवादन किया।

क्या है जी-7
ग्रुप ऑफ सेवन यानि जी7 प्रमुख औद्योगिक देशों का एक समूह है जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। इस समूह में वो देश शामिल हैं जो आजादी, मानवाधिकार, लोकतंत्र और विकास के सिद्धांत पर चलते हैं। इस वर्ष जर्मनी जी-7 की मेजबानी कर रहा है। 

जी7 प्रतिवर्ष शिखर सम्मेलन आयोजित करता है जिस दौरान हितों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा होती है। इस सम्मेलन में अलग-अलग वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की जाती है और उसका समाधाना ढूंढने का प्रयास किया जाता है। जी7 की स्थापना 1975 में हुई थी और इसी वर्ष इस समूह की पहली बैठक आयोजित की गई थी। पहली बैठक में दुनियाभर में बढ़े आर्थिक संकट और उसके समाधान पर चर्चा की गई थी। साल 1976 में कनाडा इस ग्रुप से जुड़ा। जी7 के देशों के अलावा दूसरे देशों के प्रतिनिधियों को भी इस सम्मेलन में आमंत्रित किया जाता है। 

विदेश मंत्रालय ने इस हफ्ते के शुरुआत में कहा था कि प्रधानमंत्री सम्मेलन के दो सत्रों में पर्यावरण, उर्जा, जलवायु, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, लैंगिक समानता और लोकतंत्र जैसे विषयों पर अपनी बात रखते हैं। वह भाग लेने वाले कुछ देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे।