न्यूयॉर्क। पश्चिमी देशों और वहां के मीडिया ने जो कहानी पेश की है, उसमें बताया गया है कि रूस अपने दो बॉन्ड्स पर ब्याज की दस करोड़ डॉलर की रकम चुकाने में नाकाम रहा है। इस आधार पर पश्चिमी मीडिया ने रूस को डिफॉल्टर घोषित कर दिया है। लेकिन रूस का दावा है कि उसने समयसीमा के भीतर अपनी देनदारी पूरी कर दी। इन परस्पर विरोधी दावों से डिफॉल्ट के मामले में रूस की वास्तविक स्थिति को लेकर भ्रम गहराया हुआ है।
ये खबर सोमवार को दुनिया भर में प्रमुखता से छपी कि रूस रविवार तक की तय सीमा के भीतर ब्याज की रकम बॉन्डधारकों को नहीं चुका पाया। इस तरह वह 30 दिन की अनुकंपा अवधि (ग्रेस पीरियड) में प्रवेश कर गया है। व्हाइट हाउस ने सोमवार को इस खबर को रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों की सफलता के रूप में पेश किया।
पहली बार रूस ने डिफॉल्ट किया
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पत्रकारों से कहा- ‘आज सुबह रूस के डिफॉल्टर होने की खबर प्रमुखता से आई है। एक सदी में ये पहला मौका है, जब रूस ने डिफॉल्ट किया है। ये घटना बताती है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने रूस के खिलाफ कितने सख्त कदम उठाए और उनकी तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों का रूसी अर्थव्यवस्था पर कितना नाटकीय प्रभाव पड़ा है।’
लेकिन रूस का कहना है कि उसने अपनी देनदारी का भुगतान समय पर कर दिया। लेकिन वह रकम यूरोक्लीयर में अटकी हुई है। यूरोक्लीयर बेल्जियम स्थित एक पेमेंट सेटलमेंट एजेंसी है। रूसी मीडिया ने कहा है कि रूस के पास कर्ज चुकाने की क्षमता और इच्छाशक्ति दोनों मौजूद है। ऐसी स्थिति में उसके डिफॉल्टर होने का सवाल ही पैदा नहीं होता है।
रूस के वित्त मंत्री सिलुआनोव ने समाचार एजेंसी रिया नोवोस्ती से बातचीत में कहा कि पश्चिमी देशों की तरफ से लगाए प्रतिबंधों के कारण रूस के पास इसके अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है कि वह कर्ज और ब्याज का भुगतान अपनी मुद्रा रुबल में करे। उन्होंने बताया कि बीते 27 मई को रूस के नेशनल सेटलमेंट डिपॉजिटरी ने सात करोड़ 10 लाख डॉलर और दो करोड़ 65 लाख यूरो के बराबर की रकम का रुबल में भुगतान कर दिया। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने सोमवार को कहा- ‘रूस के डिफॉल्ट करने की खबर गलत है, क्योंकि जरूरी भुगतान मई के आखिर में ही कर दिया गया था।’
रूस का आमदनी बढ़ने का दावा
अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन के एक विश्लेषण के मुताबिक पश्चिमी देशों ने वहां विदेशी मुद्रा में जमा रूस की रकम को जब्त कर लिया है। साथ ही उसे भुगतान के सिस्टम से बाहर कर दिया गया है। पिछले महीने यूरोपियन यूनियन ने मास्को के लिए कर्ज चुकाना और कठिन बना दिया, जब उसने रूस के नेशनल सेटलमेंट डिपॉजटरी पर प्रतिबंध लगा दिए। ऐसे में रूस सामान्य रूप में यूरो और डॉलर में ब्याज नहीं चुका पाएगा, यह अनुमान पहले से ही था।
लेकिन यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस की मुद्रा रुबल का भाव तेजी से चढ़ा है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल और गैस की महंगाई से उसकी आमदनी भी बढ़ी है। इसलिए उसका ये दावा सच है कि उसके पास कर्ज चुकाने की क्षमता है। चूंकि उसने रुबल में रकम चुका दी है, इसलिए उसके इस दावे में भी दम है कि वह डिफॉल्टर नहीं हुआ है।