0 225 में से 134 वोट मिले, 6 बार प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं
कोलंबो। गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को नया राष्ट्रपति मिल गया है। श्रीलंकाई संसद ने 6 बार के प्रधानमंत्री रह चुके रानिल विक्रमसिंघे को देश का नया राष्ट्रपति चुना है। उन्हें 225 में से 134 वोट मिले। राष्ट्रपति पद के सबसे मजबूत दावेदार माने जाने वाले दुलस अल्हाप्परुमा को 82 वोट मिले पार्लियामेंट में 44 साल बाद सीक्रेट वोटिंग हुई। यानी 1978 के बाद पहली बार देश में जनादेश के माध्यम से नहीं, बल्कि राष्ट्रपति का चुनाव सांसदों के सीक्रेट वोट के माध्यम से हुआ। वहीं नए राष्ट्रपति की घोषणा होते ही विरोध भी शुरू हो गया है।
73 साल के रानिल 6 बार प्रधानमंत्री रह चुके हैं। 225 सदस्यीय श्रीलंकाई संसद में विक्रमसिंघे को 134, जबकि उनके खिलाफ खड़े दुलस अल्हाप्परूमा को 82 वोट हासिल हुए। तीसरे कैंडिडेट अनुरा कुमारा दिसानायके को सिर्फ 3 वोट मिले। विक्रमसिंघे का पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे का बचा हुआ टेन्योर पूरा करेंगे। दूसरे शब्दों में कहें तो रानिल नवंबर 2024 तक राष्ट्रपति रहेंगे। वो गुरुवार को शपथ ग्रहण करेंगे।
नए राष्ट्रपति का विरोध शुरू
रानिल विक्रमसिंघे का विरोध भी शुरू हो गया। संसद भवन के बाहर कई लोगों ने नए राष्ट्रपति से इस्तीफे की मांग की। ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ से बातचीत में प्रदर्शनकारियों ने कहा- रानिल को राजपक्षे भाईयों की पार्टी का समर्थन हासिल है। राजपक्षे ब्रदर्स सत्ता में न रहते हुए भी सत्ता में ही हैं। देश में नई ऑल पार्टी सरकार बनानी चाहिए। इससे विक्रमसिंघे को बाहर रखा जाए। जब तक हमारी यह मांग पूरी नहीं होगी, तब तक हम विक्रमसिंघे का विरोध करते रहेंगे।
दरअसल, कुछ रिपोर्ट्स बता रही हैं कि देश को नए राष्ट्रपति के साथ ही नया प्रधानमंत्री भी मिलने जा रहा है। बहुत गौर से देखें तो सच्चाई सामने आती है। और वो ये कि सत्ता की जिस बंदरबांट ने श्रीलंका को इन हालात में पहुंचाया, वही स्थिति अब भी है। नए प्रधानमंत्री के तौर पर सजिथ प्रेमदासा कुर्सी संभाल सकते हैं।
कैसे जीते विक्रमसिंघे
मंगलवार तक राष्ट्रपति की रेस में चार अहम नाम थे। रानिल विक्रमसिंघे, दुलस अल्हाप्परुमा, अनुरा कुमारा और सजिथ प्रेमदासा। इनमें से भी दो नाम प्रायोरिटी में सबसे ऊपर थे। दुलस अल्हाप्परूमा और सजिथ प्रेमदासा। हुआ ये कि सजिथ ने नाम वापस ले लिया और वो प्रेसिडेंट पोस्ट की रेस से बाहर हो गए।
दुनिया की भी नजर
0 2 जुलाई को जापान की तरफ से एक बयान जारी किया गया था। इसको बहुत गौर से देखने की जरूरत है। जापान सरकार ने श्रीलंका को ‘कैश रिलीफ’ देने से इनकार कर दिया था। इस कदम के मायने समझने की जरूरत है।
0 अमेरिका, जापान और भारत तक श्रीलंका को बेलआउट के तौर पर कैश देने से बच रहे हैं। इसकी वजह वहां के करप्ट नेता और करप्ट सिस्टम है। इन देशों को लगता है कि कैश रिलीफ का फायदा अवाम को नहीं मिलेगा।
0 IMF और वर्ल्ड बैंक को आगे किया जा रहा है। यही फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन श्रीलंका को सख्त शर्तों पर बेलआउट पैकेज देंगे। इनकी लीगल बाउंडेशन होगी और श्रीलंका की किसी भी सरकार को यह शर्तें माननी होंगी।