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0 श्रीनगर में तैनात 51 स्क्वाड्रन 30 सितंबर को रिटायर होगी

नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना 30 सितंबर तक मिग-21 बाइसन विमानों वाले श्रीनगर एयरबेस के 51 स्क्वाड्रन को रिटायर कर देगी। यह फैसला फ्लाइट सेफ्टी को सुनिश्चित करने के लिए बेहद अहम माना जा रहा है, जिसे जनवरी 2021 से लेकर बाड़मेर में गुरुवार को हुए हादसे के कारण लिया गया।

पाकिस्तान के F-16 को गिराकर मशहूर हुआ 51 स्क्वाड्रन
श्रीनगर एयरबेस पर बना यह स्क्वाड्रन फरवरी 2019 में बालाकोट हवाई हमले के बाद हुए पाकिस्तानी अटैक से मशहूर हुआ है। इसने पाकिस्तान वायु सेना के F-16 विमान को मार गिराया था। यह वही स्क्वाड्रन है, जिसका MiG-21 विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान उड़ा रहे थे। सितंबर 2022 के बाद वायु सेना के पास मिग 21 बाइसन के केवल तीन स्क्वाड्रन बचे रहेंगे, जिनमें से एक को हर साल रिटायर किया जाएगा। यानी 2025 में मिग-21 का बेड़ा पूरी तरह से खाली हो जाएगा।

एक और हादसा राजस्थान में हुआ
राजस्थान के बाड़मेर जिले में गुरुवार शाम मिग-21 के दुर्घटनाग्रस्त होने से दो पायलटों की मौत हो गई। बाड़मेर के भीमदा गांव में आधा किलोमीटर के दायरे में विमान का मलबा बिखरा मिला। इस दुर्घटना ने एक बार फिर भारतीय वायुसेना के बेड़े में सोवियत मूल के मिग-21 विमानों की खामियों को उजागर कर दिया है। भारतीय वायु सेना में 1960 के दशक की शुरुआत में शामिल होने के बाद से मिग-21 के साथ लगभग 200 दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।

उड़ता ताबूत और विडो मेकर के नाम से बदनाम
मिग-21 का सेफ्टी रिकॉर्ड बेहद खराब है, इसलिए भारतीय वायु सेना इसे अन्य सक्षम विमानों जैसे SU-30 और स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (LCA) से बदल रही है। इसमें देरी के कारण ही वायुसेना में MiG अब तक अपनी जगह बनाए है। 1963 के बाद से इंडियन एयर फोर्स को विभिन्न श्रेणी के 872 मिग फाइटर प्लेन मिल चुके हैं। इनमें से करीब 500 फाइटर जेट क्रैश हो चुके हैं। इन हादसों में 200 से ज्यादा पायलट्स व 56 आम लोगों को जान गंवानी पड़ी। इतनी तादाद में हादसों का शिकार होने के कारण Mig-21 उड़ता ताबूत और विडो मेकर के नाम से भी बदनाम है।

रूस और चीन के बाद भारत मिग-21 का सबसे बड़ा ऑपरेटर
रूस और चीन के बाद भारत मिग-21 का तीसरा सबसे बड़ा ऑपरेटर है। 1964 में इस विमान को पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट के तौर पर एयरफोर्स में शामिल किया गया था। शुरुआती जेट रूस में बने थे और फिर भारत ने इस विमान को असेंबल करने का अधिकार और तकनीक भी हासिल कर ली थी। तब से अब तक मिग-21 ने 1971 के भारत-पाक युद्ध, 1999 के कारगिल युद्ध समेत कई मौकों पर अहम भूमिका निभाई है। रूस ने तो 1985 में इस विमान का निर्माण बंद कर दिया, लेकिन भारत इसके अपग्रेडेड वैरिएंट का इस्तेमाल करता रहा है।

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