संयुक्त राष्ट्र। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा कि अफगानिस्तान में आईएसआईएल-के की उपस्थिति काफी बढ़ गई है। साथ ही उसने आगाह किया कि पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए- मोहम्मद जैसे प्रतिबंधित संगठनों के बीच संबंध और अन्य आतंकवादी संगठनों के भड़काऊ बयान क्षेत्र की शांति एवं स्थिरता के लिए खतरा हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि जैसा कि हमने सुरक्षा परिषद में बार-बार कहा है कि एक निकटवर्ती पड़ोसी और लंबे समय से हमारे साझेदार होने, अफगानिस्तान के लोगों के साथ हमारे मजबूत ऐतिहासिक तथा सभ्यतागत संबंधों के मद्देनजर अफगानिस्तान में शांति एवं स्थिरता की वापसी सुनिश्चित करने के संबंध में भारत के सीधे हित जुड़े हैं।
रूस के अनुरोध पर सोमवार को अफगानिस्तान पर बुलाई गई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठक में कंबोज ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद पर 1988 प्रतिबंध समिति की ‘एनालिटिकल सपोर्ट एंड द सैंक्शन्स मॉनिटरिंग टीम’ की रिपोर्ट के हालिया निष्कर्ष बताते हैं कि अफगानिस्तान में मौजूदा अधिकारियों को अपनी आतंकवाद रोधी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए और अधिक कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है। इस माह सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता चीन कर रहा है।
उन्होंने कहा कि देश में आईएसआईएल-के (इस्लामिक स्टेट- खुरासान प्रांत) की मौजूदगी और हमले करने की उनकी ताकत में काफी वृद्धि हुई है। (कथित रूप से अफगानिस्तान स्थित) आईएसआईएल-के अन्य देशों के लिए भी आतंकवाद संबंधी खतरा उत्पन्न करता है।’’
कंबोज ने परिषद से कहा कि काबुल में 18 जून को सिख गुरुद्वारे पर हुआ हमला और 27 जुलाई को उसी गुरुद्वारे के पास एक और बम विस्फोट होने सहित अल्पसंख्यक समुदाय के धार्मिक स्थलों पर लगातार हो रहे हमले ‘‘बेहद चिंताजनक’’ हैं।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित किए गए लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के बीच संबंध के अलावा अफगानिस्तान से सक्रिय अन्य आतंकवादी संगठनों के भड़काऊ बयान क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता के लिए सीधा खतरा हैं। कंबोज ने यह सुनिश्चित करने की जरूरत पर जोर दिया कि ऐसे प्रतिबंधित आतंकवादियों, संगठनों या उनसे संबद्ध अन्य लोगों तथा संस्थाओं को अफगानिस्तान की धरती पर या क्षेत्र में स्थित आतंकवादी संगठनों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई समर्थन ना मिले।
राजनीतिक परिदृश्य के संदर्भ में उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार की मांग की है, जिसमें समाज के सभी वर्गों की भागीदारी हो।