सिंगापुर। सिंगापुर के पूर्व विदेश मंत्री जॉर्ज यो ने कहा है कि भारत और चीन के बीच संबंधों का सामान्य होना क्षेत्रीय समृद्धि और स्थिरता के लिए जरूरी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि दोनों देशों (भारत और चीन) के शीर्ष नेतृत्व शीघ्र ही इंडोनेशिया में मुलाकात करेंगे और एशियाई सदी के लिए काम करेंगे।
पूर्व विदेश मंत्री ने बुधवार को अपनी पुस्तक ‘जॉर्ज यो म्यूजिंग्स’ के विमोचन से इतर कहा कि हमारे लिए, यदि भारत और चीन के संबंध अच्छे हैं तो यह फायदेमंद है...और यदि भारत चीन-संबंध खराब हैं तो यह हमें प्रभावित करेगा।
बिहार में 800 साल पुराने नालंदा विश्वविद्यालय पुनरूद्धार में भी यो (67) का अहम योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय में मेरी पूरी भागीदारी इस आंशिक उम्मीद के साथ रही कि इस परियोजना के जरिये हम भारत और चीन को सभ्यताओं के रूप में एक-दूसरे के करीब लाएंगे।’’
यो का मानना है कि नवंबर में प्रस्तावित जी-20 शासनाध्यक्षों के शिखर सम्मेलन के बाद दोनों एशियाई देशों के नेतृत्व के बीच बाली में एक बैठक होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के जी-20 शिखर सम्मेलन में शरीक होने की उम्मीद है। मई 2020 में पूर्वी लद्दाख गतिरोध शुरू होने के बाद से दोनों नेता एक-दूसरे से नहीं मिले हैं, ना ही उनके बीच बातचीत हुई है।
अभी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के ली कुआन येव स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी संस्थान में अध्यापन कर रहे यो ने कहा है कि उन्हें लगता है कि भारत शीघ्र ही क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) में शामिल होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि भारत अनिश्चितकाल तक आरसीईपी से बाहर रहेगा।’’ आरसीईपी एशिया-प्रशांत देशों के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता है। इसमें 15 देश शामिल हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि बैंकाक में भारत ने आरसीईपी समझौते पर इन चिंताओं को लेकर हस्ताक्षर नहीं किया कि भारतीय कृषि उत्पाद और छोटे उद्योगों के उत्पाद क्षेत्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे।
यो ने टाटा समूह के जमशेदपुर संयंत्र के इस्पात का उदाहरण देते हुए कहा कि शुरूआत में इसके उत्पाद स्कॉटिश और ब्रिटिश कारखानों के उत्पादों के सामने प्रतिस्पर्धी नहीं थे लेकिन अब भारतीय इस्पात अंतरराष्ट्रीय बाजार में है। उन्होंने टाटा समूह के अधिकारियों के न्योते पर 2007 में जमशेदपुर (झारखंड) की यात्रा की थी। यो ने 464 पृष्ठों की अपनी पुस्तक में लिखा है, ‘‘मेरी बेटी ने स्कूल में भारतीय नृत्य सीखा है।’