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टोक्यो। भारत और जापान ने हिन्द प्रशांत क्षेत्र में शांति तथा समृद्धि के लिए दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों को बहुत जरूरी बताते हुए समुद्री क्षेत्र में सहयोग का दायरा बढाने तथा इसे पुख्ता करने के बारे में सहमति व्यक्त की है। दोनों देशों का कहना है कि स्वतंत्र, खुले, नियम आधारित और समावेशी हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के लिए दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों का होना बहुत जरूरी है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के साथ गुरूवार को टोक्यो में दूसरे भारत-जापान टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय संवाद में हिस्सा लेने के बाद अपने वक्तव्य में यह बात कही। वार्ता में जापानी पक्ष का प्रतिनिधित्व रक्षा मंत्री यासुकाज़ु हमदा और विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी ने किया। संवाद के दौरान सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा तथा भविष्य के लिए रणनीति पर विचार विमर्श किया गया।

श्री सिंह ने कहा, “ हमने समुद्री क्षेत्र में जागरूकता बढाने सहित समुद्री सहयोग बढाने के उपायों पर विस्तार से चर्चा की। दोनों पक्षों ने सहमति व्यक्त की कि मजबूत भारत- जापान संबंध मुक्त , खुले , नियम आधारित और देशों की संप्रभुता तथा प्रादेशिक अखंडता पर आधारित समावेशी हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के लिए बहुत जरूरी है। भारत की हिन्द प्रशांत महासागर पहल और जापान के मुक्त तथा खुले हिन्द प्रशांत योजना में काफी समानता है। भारत ने क्षेत्र में सभी देशों के साथ सुरक्षा और विकास के दृष्टिकोण पर आधारित सागर योजना के तहत भी क्षेत्रीय साझीदारों के साथ समुद्री क्षेत्र में सहयोग बढाया है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि बातचीत के दौरान दोनों पक्षों ने परस्पर हित के विभिन्न द्विपक्षीय तथा क्षेत्रीय मुद्दों पर भी विचार विमर्श किया। उन्होंने कहा ,“ एशिया के दो बड़े लोकतांत्रिक देशों के रूप में हम विशेष सामरिक और वैश्विक साझेदारी को आगे बढा रहे हैं। राजनयिक संबंधों के 70 वर्ष पूरे होने के मद्देनजर यह वर्ष महत्वपूर्ण है और हिन्द प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए ये संबंध महत्वपूर्ण हैं। ”

उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों ने सैन्य सहयोग तथा आदान प्रदान के महत्व को समझा है और हम चाहते हैं कि द्विपक्षीय अभ्यासों के दायरे तथा जटिलता को बढाया जाना चाहिए। तीनों सेनाओं तथा तटरक्षक बल के बीच शीर्ष स्तर पर वार्ता को लेकर भी सहमति बनी है। बातचीत के दौरान मिलन अभ्यास में इस बार जापान की भागीदारी का भी उल्लेख किया गया। दोनों पक्षों ने इस बात पर भी प्रसन्नता जाहिर की कि उनकी वायु सेना लड़ाकू विमानों के पहले अभ्यास को लेकर गंभीरता से कार्य कर रही हैं।

श्री सिंह ने कहा कि उन्होंने नयी और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में संपर्क को और बढाये जाने का प्रस्ताव किया तथा साथ ही जापान की रक्षा कंपनियों से भारतीय रक्षा गलियारों में निवेश की संभावनाओं का पता लगाने को भी कहा। दोनों पक्षों ने महत्वपूर्ण क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान प्रदान किया तथा विवादों के अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार शांतिपूर्ण समाधान की जरूरत पर बल दिया।
इससे पहले श्री सिंह ने जापानी रक्षा मंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता के दौरान भी रक्षा क्षेत्र में परस्पर सहयोग की समीक्षा की।