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0 9 साल में छत्तीसगढ़ में अंतर सबसे ज्यादा बढ़ा, केरल में घटा

नई दिल्ली। भारत में एक साल से कम उम्र के लड़कों और लड़कियों की बाल मृत्यु दर (आईएमआर) बराबर हो गई है। प्रति हजार बच्चों पर होने वाली मौतों को आईएमआर कहा जाता है। अब देश में मेल और फीमेल आईएमआर 28 है। पिछले कई सालों से 16 राज्यों में लड़कों की तुलना में लड़कियों की बाल मृत्यु दर ज्यादा थी, लेकिन 2011 से इसमें भारी कमी आई है। यह खुलासा एसआरएस स्टैटिस्टिकल रिपोर्ट 2020 में हुआ है।

डेटा के मुताबिक आंध्र प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तराखंड में मेल-फीमेल आईएमआर बराबर है, लेकिन छत्तीसगढ़, बिहार, असम, जम्मू कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, राजस्थान, ओडिशा, पंजाब, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में अब भी लड़कियों के मुकाबले लड़कों की मृत्यु दर कम है।

गांव के मुकाबले शहर में हालात बेहतर
रिपोर्ट में कहा गया है कि गांव हो या शहर, सभी इलाकों में बाल मृत्यु दर में गिरावट आई है। हालांकि, शहरों के मुकाबले गांवों में बच्चियों की मौत अब भी ज्यादा हो रही है। देश के शहरी इलाकों में 2011 में मेल और फीमेल IMR के बीच अंतर काफी ज्यादा था, मगर 2020 में लड़कियों की बाल मृत्यु दर लड़कों से नीचे जा चुकी है।

छत्तीसगढ़ में मेल-फीमेल आईएमआर में सबसे ज्यादा अंतर
रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में छत्तीसगढ़ में मेल और फीमेल आईएमआर में सबसे ज्यादा अंतर है। जहां लड़कों की बाल मृत्यु दर 35 है, वहीं लड़कियों में यह 41 है। छत्तीसगढ़ का कुल IMR 48 से 38 पर आया है, लेकिन यह उन चुनिंदा राज्यों में से है जहां मेल-फीमेल IMR के बीच का अंतर 9 साल में बढ़ा है। इसके अलावा बिहार, असम और कर्नाटक में यह गैप बढ़ा है।
उधर, कुछ राज्य ऐसे भी थे जहां के शहरी इलाकों में 2011 में मेल-फीमेल आईएमआर में अंतर ज्यादा था। इनमें हिमाचल प्रदेश, गुजरात, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र और हरयाणा शामिल हैं। 2020 में यह ट्रेंड इनमें से ज्यादातर राज्यों में उलट गया है।

भारत के लिए यह गिरावट बड़ी उपलब्धि
भारत के लिए बाल मृत्यु दर में इतनी भारी गिरावट दर्ज करना एक बड़ी उपलब्धि है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) का 2020 का डेटा बताता है कि जिन भी देशों में बाल मृत्यु दर 20 से ज्यादा है, उनमें से सिर्फ भारत में ही मेल और फीमेल आईएमआर लगभग समान है। बाकी हर देश में मेल और फीमेल आईएमआर में कम से कम 2 पॉइंट्स का अंतर है। इनमें भी लड़कियों की बाल मृत्यु दर ज्यादा है।