59 हजार करोड़ में हुआ था सौदा
नई दिल्ली। फ्रांस से खरीदे गए 36 राफेल विमानों में से अंतिम विमान भी गुरुवार को भारत की जमीन पर उतर गया है। इसके साथ ही फ्रांस से भारत आने वाली राफेल की यह खेप पूरी हो गई। वायुसेना ने गुरुवार को ट्वीट कर यह जानकारी दी है। ट्वीट में कहा गया है कि फीट ड्रॉय, पैक पूरा! 36 राफेल विमानों में से आखिरी विमान UAE वायु सेना के टैंकर के जरिए एक तेज गति मार्ग से भारत में उतरा।
59 हजार करोड़ में हुआ था सौदा
भारत ने 2016 में फ्रांस से 36 राफेल फाइटर प्लेन की खरीद के लिए 7.87 अरब यूरो, यानी करीब 59 हजार करोड़ रुपए का समझौता किया था। फरवरी 2022 तक भारत को 35 राफेल मिल चुके थे। देश की सुरक्षा के लिए गेमचेंजर माने जा रहे राफेल विमानों की सबसे पहली खेप में पांच विमान अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर जुलाई 2020 में उतरे थे।
राफेल का निर्माण भी मिराज बनाने वाली फ्रेंच कंपनी दसॉ एविएशन ने किया है। राफेल कई घातक हथियार और मिसाइल ले जाने में सक्षम, दुनिया के सबसे आधुनिक फाइटर प्लेन में से एक है। इसे भारतीय सेना के लिए रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण अंबाला एयर फोर्स स्टेशन पर तैनात किया गया है, जो दूरी के लिहाज से पाकिस्तान और चीन दोनों के करीब पड़ता है।
राफेल में लग सकती हैं तीन तरह की मिसाइलें
राफेल को अपनी स्पीड, हथियार ले जाने की क्षमता और आक्रमण क्षमता की वजह से जाना जाता है। ये सिंगल और डुअल सीटर दोनों विकल्पों के साथ आता है। भारत ने 28 सिंगल और 8 डुअल सीटर राफेल खरीदे हैं। राफेल की मारक रेंज 3,700 किलोमीटर है। इसमें तीन तरह की मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। हवा से हवा में मार करने वाली मीटियॉर, हवा से जमीन पर मार करने वाली स्कैल्प और हैमर मिसाइल।
राफेल स्टार्ट होते ही महज एक सेकेंड में 300 मीटर ऊंचाई पर पहुंच सकता है। यानी एक ही मिनट में राफेल 18 हजार मीटर की ऊंचाई तक पहुंच जाता है। इसका रेट ऑफ क्लाइंब चीन-पाकिस्तान के पास मौजूद आधुनिक फाइटर प्लेन्स से भी बेहतर है।
राफेल कई मामलों में चीन के सबसे ताकतवर फाइटर प्लेन J20 और पाकिस्तान के F-16 से बेहतर है। चीन के J20 को वास्तविक लड़ाई का अनुभव नहीं है, जबकि फ्रेंच एयर फोर्स राफेल का इस्तेमाल अफगानिस्तान, लीबिया और माली में कर चुकी है। वहीं, चकमा देने की लड़ाई में राफेल अमेरिका में बने पाकिस्तानी F-16 फाइटर प्लेन को भी मात दे सकता है।
राफेल एक ओमनी रोल फाइटर प्लेन है, जिसे पहाड़ पर बेहद कम जगह में भी उतार सकते हैं और समुद्र में चलते हुए युद्धपोत पर भी उतारा जा सकता है। राफेल की एक और खासियत हवा में उड़ान भरते हुए फ्यूल भरने की है। एक बार फ्यूल भरने पर यह लगातार 10 घंटे उड़ान भर सकता है।