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0 पीएम मोदी को लेकर लिखकर कहा- सरकारी अफसरों और सैनिकों को प्रचार में लगाना ठीक नहीं
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 22 अक्टूबर को पीएम मोदी को लेटर लिखकर केंद्र सरकार पर देश की सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है।
श्री खरगे ने दो पेज के लेटर में लिखा- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अलावा आयकर विभाग और सीबीआई पहले से ही भाजपा के चुनाव विभाग के रूप में काम कर रहे हैं, लेकिन सरकार के 18 अक्टूबर वाले आदेश ने पूरी सरकारी मशीनरी को ऐसे काम पर लगा दिया है जैसे कि वे सत्तारूढ़ दल के एजेंट हों। लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए जरूरी है कि नौकरशाही और सशस्त्र बलों के राजनीतिकरण न किया जाए।

लेटर में खड़गे ने सरकार की ओर से 18 अक्टूबर को जारी एक लेटर का जिक्र किया, जो संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव जैसे उच्च रैंक के सीनियर अधिकारियों को भारत के 765 जिलों में तैनात करने से जुड़ा है। खरगे ने लिखा- इन्हें सरकार की बीते 9 सालों की उपलब्धियों को प्रमोट करने के लिए 'रथप्रभारी' के रूप में तैनात किया जाएगा। यह कई कारणों से चिंता का विषय है।

यह केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 का उल्लंघन है। जिसमें निर्देश दिए गए हैं कि कोई सरकारी कर्मचारी किसी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा। हालांकि, सरकारी अधिकारियों के लिए उपलब्धियों का प्रदर्शन करने के लिए सूचना प्रसारित करना स्वीकार्य है, लेकिन यह उन्हें सत्तारूढ़ दल के राजनीतिक कार्यकर्ताओं में बदल देता है।

6 महीने देश का कामकाज ठप हो जाएगा 
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अधिकारियों सरकार के पिछले 9 सालों के काम का प्रचार करने के लिए तैनात किया जा रहा है। जिसका असर पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है। अगर विभागों के सीनियर अधिकारियों को सरकार की मार्केटिंग गतिविधि के लिए तैनात किया जा रहा है, तो अगले छह महीने के लिए देश का कामकाज ठप हो जाएगा।

नौकरशाहों और सैनिकों को राजनीति से दूर रखें
श्री खरगे ने रक्षा मंत्रालय की ओर से 9 अक्टूबर को पारित आदेश का हवाला भी दिया, जिसमें छुट्टी पर गए सैनिकों को सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार में समय बिताने का निर्देश दिया गया था। अगर सैनिक कई महीनों या सालों की मेहनत के बाद घर गया है तो उसे अपनी छुट्टी आजादी से बिताने का हक है। राजनीतिक उद्देश्यों के लिए उनकी छुट्टियों का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए। सिविल सेवकों और सैनिकों दोनों को ही राजनीति से दूर रखा जाए, खासकर चुनाव से पहले के महीनों में। यह आदेश तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।