Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

tranding

हरिद्वार। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि हम राजधर्म का पालन सही तरीके से कर रहे हैं या नहीं इसपर संतों को निगरानी रखनी चाहिए। श्री सिंह उत्तराखंड के हरिद्वार में हरिहर आश्रम में आयोजित दिव्य अध्यात्म महोत्सव के दूसरे दिन लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला के साथ पहुंचे।

धर्मसभा में बोलते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि प्राचीनकाल में राजा के ऊपर केवल एक सत्ता धर्म सत्ता थी। संत ही राजा को अधिकार देते थे की प्रजा के हित में कार्य करे। राजा सही काम कर रहा है या नहीं यह देखना धर्म संतों का था। उन्होंने कहा कि आज के समय में भी हम अपने राजधर्म का सही से पालन का रहे है या नहीं यह देखना भी संतों का ही काम है। राजनीतिक और सांस्कृतिक ऑडिटर का काम संत करते थे। सन्यास अहम से वयम की यात्रा है।

उन्होंने कहा कि आज सीमाओं की सुरक्षा से परे सांस्कृतिक रक्षा का है। मिलिट्री पावर देश की सीमा की रक्षा करती है जबकि संस्कृति की रक्षा का जिम्मा आज भी संतो के हाथो में है। इसलिए राजसत्ता के लोगों पर संतों का आशीर्वाद बना रहना चाहिए। श्री सिंह ने कहा कि मंदिर, मस्जिद और गुरद्वारे में जाकर पूजा करना ही अध्यात्म नहीं है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के उत्थान व देश की अस्मिता में सन्यास का महत्व काफी महत्वपूर्ण होता है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि देश के सन्यासी घर बार छोड़कर विरक्त रहते हैं और मोह माया से दूर रहते हैं परंतु जब भी हमारी संस्कृति पर हमला हुआ तथा अंग्रेजों ने भारत की संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया तो संतो ने उसका प्रतिरोध किया। उन्होंने कहा कि राज सत्ता और राजा का जो राजधर्म निभाने का कर्तव्य है उसे पर भी अंकुश लगाने का काम हमेशा संतों ने किया है और यह उनका कोई स्वार्थ नहीं है केवल संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए उसका संवर्धन करने के लिए संतों ने हमेशा अपनी भूमिका निभाई है। इस अवसर पर श्री ओम बिरला ने भी समारोह को संबोधित किया।