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0 ईडी के 7 नोटिसों के बाद सरकार बचाने की कवायद
0 कल विधायक दल की बैठक बुलाई

रांची। झारखंड सरकार पर एक बार फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। सीएम हेमंत सोरेन जमीन घोटाला और अवैध खनन के आरोपों में फंसते दिख रहे हैं। 3 जनवरी को सोरेन ने महागठबंधन के विधायक दल की बैठक बुलाई है। चर्चा है कि इस बैठक में उनकी पत्नी कल्पना सोरेन का नाम सीएम के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है।

हेमंत सोरेन इस संबंध में कानूनी सलाह भी ले रहे हैं। हेमंत सोरेन ने मंगलवार को महाधिवक्ता राजीव रंजन से मुलाकात की। वरिष्ठ अधिकारियों की एक बैठक भी हुई जिसमें सीएम के सचिव विनय चौबे भी शामिल रहे। दूसरी तरफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सात समन के बाद भी सीएम पूछताछ के लिए तैयार नहीं हुए। माना जा रहा है कि ईडी बड़ी कार्रवाई के मूड में है।

इस बीच राजभवन में बंद लिफाफे की चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है। अगर राजभवन का लिफाफा खुला और हेमंत सोरेन की सदस्यता चली गई, तो झारखंड सरकार खतरे में आ जाएगी। इसी तरह अगर ईडी ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार करने का फैसला लिया तब भी महागठबंधन की सरकार पर संकट छाएगा।

गांडेय विधायक ने क्यों दिया इस्तीफा
माना जा रहा है कि सरकार पर मंडराते दो बड़े खतरों से निपटने के लिए गांडेय विधायक ने इस्तीफा दिया। सरफराज अहमद ने इस्तीफे के बाद कहा- यह फैसला महागठबंधन धर्म को ध्यान में रखकर लिया है। यह मेरा व्यक्तिगत फैसला है। मेरे अब तक के अनुभव से मुझे खतरा नजर आ रहा था। मैंने झारखंड और गठबंधन की सरकार को ध्यान में रखकर फैसला लिया। इस फैसले से झारखंड भी बचेगा और सरकार भी। अगर भाजपा नए साल में कुछ नया करने वाली थी, तो मैंने उनसे पहले कुछ नया कर दिया। मैंने बस ये ध्यान रखा कि एक सेकुलर सरकार को कैसे बचाया जाए, इसे ध्यान में रखते हुए मैंने फैसला लिया।

आसान नहीं होगी कल्पना सोरेन के लिए सत्ता की राह
झारखंड में सियासी हलचल पर गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे लगातार ट्वीट किया है। उन्होंने ट्वीट कर बताया है कि कैसे हेमंत सोरेन की पत्नी के लिए सत्ता की राह आसान नहीं होगी। उन्होंने लिखा, सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट (श्री चौधरी वर्सेस स्टेट ऑफ पंजाब) का हवाला दिया। उन्होंने लिखा कि इस जजमेंट के अनुसार यदि 6 महीने के अंदर कल्पना सोरेन विधायक नहीं बनती हैं तो वह मुख्यमंत्री पद की शपथ नहीं ले सकती हैं। काटोल विधानसभा के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट के जजमेंट का भी निशिकांत ने उल्लेख किया है। इसके अनुसार अब गांडेय या झारखंड के किसी भी विधानसभा का चुनाव नहीं हो सकता। राज्यपाल को चुनाव आयोग के साथ- साथ कानूनी राय लेकर झारखंड के लुटेरों की मंशा को रोकना चाहिए, यही प्रार्थना है।