Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

tranding

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा के कथित आपत्तिजनक बयान देने के एक आपराधिक मानहानि मामले को रद्द करने की उनकी याचिका गुरुवार को खारिज कर दी।

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने मानहानि के अन्य मामलों में खेड़ा की बार-बार माफी मांगने के तथ्यों का संज्ञान लेते हुए कहा कि किसी अपराध को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पीठ केंद्र समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने श्री खेड़ा की ओर से दलील देते हुए जबाव दाखिल करने के लिए समय देने की गुहार लगाई। इस पर पीठ ने कहा कि वह इस मामले पर विचार करने के इच्छुक ही नहीं है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आरोप पत्र तैयार होने के साथ मुकदमा आगे बढ़ना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने अक्टूबर 2023 में वर्तमान याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 17 अगस्त को श्री खेड़ा की याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने शीर्ष अदालत में अपील की थी।

आरोप है कि फरवरी में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में श्री खेड़ा ने अडानी-हिंडनबर्ग विवाद की संयुक्त संसदीय जांच की मांग करने के दौरान प्रधानमंत्री पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस मामले में पुलिस ने उन्हें पिछले साल 23 फरवरी को दिल्ली हवाई अड्डे से हिरासत में लिया था, जब वह छत्तीसगढ़ के रायपुर जाने के लिए एक विमान में चढ़े थे। वह वहां अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की बैठक में शामिल होने जा रहे थे। असम में भी उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के आधार पर वहां की पुलिस ने उन्हें विमान से उतारा था।

इस कार्रवाई के बाद उन्होंने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जहां उन्हें अंतरिम सुरक्षा दी गई थी। अदालत ने आदेश दिया कि उत्तर प्रदेश और असम में उनके खिलाफ दर्ज तीन मामलों को जोड़कर लखनऊ स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए। श्री खेड़ा ने इसके बाद प्राथमिकी रद्द करने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया था। उच्च न्यायालय ने कोई राहत नहीं दी और उनकी याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि मुकदमे के दौरान साक्ष्य का मूल्यांकन किया जाना चाहिए।