0 गैर मुस्लिम पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगान शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट यानी सीएए का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसके साथ ही यह कानून देशभर में लागू हो गया है। सीएए को नागरिकता संशोधन कानून कहा जाता है। इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो गया है।
कयास थे कि पीएम मोदी इसका ऐलान करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इससे पहले मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर सिर्फ अग्नि-5 मिसाइल के सफल परीक्षण पर डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई दी। लिखा- मिशन दिव्यास्त्र के लिए हमें अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है।
नागरिकता संशोधन कानून की 4 बड़ी बातें
1. किसे मिलेगी नागरिकता : 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। इन तीन देशों के लोग ही नागरिकता के लिए आवेदन कर सकेंगे।
2. भारतीय नागरिकों पर क्या असर : भारतीय नागरिकों से सीएए का कोई सरोकार नहीं है। संविधान के तहत भारतीयों को नागरिकता का अधिकार है। सीएए या कोई कानून इसे नहीं छीन सकता।
3. आवेदन की प्रक्रिया क्या होगी : आवेदन ऑनलाइन करना होगा। आवेदक को बताना होगा कि वे भारत कब आए। पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेज न होने पर भी आवेदन कर पाएंगे। इसके तहत भारत में रहने की अवधि 5 साल से अधिक रखी गई है। बाकी विदेशियों (मुस्लिम) के लिए यह अवधि 11 साल से अधिक है।
4. लोगों को क्या आशंका थी : सीएए को देश में नेशनल सिटीजनशिप रजिस्टर यानी NRC बनने की सीढ़ी के तौर पर देखा गया। लोगों को आशंका थी कि विदेशी घुसपैठिया बताकर बड़ी संख्या में लोगों को निकाल बाहर किया जाएगा।
सीएए को लेकर सरकार की तैयारी
सीएए के ऑनलाइन पोर्टल को रजिस्ट्रेशन के लिए तैयार कर लिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसका ड्राई रन भी कर लिया है। सूत्रों ने कहा कि सीएए इन पड़ोसी देशों के उन शरणार्थियों की मदद करेगा जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं। मंत्रालय को लंबी अवधि के वीजा के लिए सबसे ज्यादा आवेदन पाकिस्तान से मिले हैं। गृह मंत्री अमित शाह दो महीने में दो बार कह चुके थे कि सीएए लोकसभा चुनाव से पहले लागू किया जाएगा। यह देश का कानून है। इसे कोई रोक नहीं सकता। संसद ने सीएए पर 11 दिसंबर 2019 को मुहर लगाई थी। हालांकि, सरकार इस कानून को लागू करने के लिए नियम-कायदे बनाने की समय सीमा 8 बार बढ़ा चुकी है।
सीएए के दो बड़े प्रावधान समझिए
1. सीएए से किसे मिलेगी नागरिकता
सीएए के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। इन तीन देशों के लोग ही नागरिकता के लिए आवेदन करने के योग्य होंगे।
2. सीएए भारतीय नागरिकों को प्रभावित नहीं करेगा
भारतीय नागरिकों से इसका कोई सरोकार नहीं है। संविधान के तहत भारतीयों को नागरिकता का अधिकार है। सीएए या कोई कानून इसे नहीं छीन सकता।
नागरिकता के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा
आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन रहेगी। आवेदकों को बताना होगा कि वे भारत कब आए। पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेज नहीं होंगे, तब भी आवेदन कर पाएंगे। इसके तहत भारत में रहने की अवधि पांच साल से अधिक रखी गई है। अन्य विदेशियों (मुस्लिम) के लिए यह समय अवधि 11 साल से अधिक है।
आवेदन के वेरिफिकेशन की प्रोसेस तय समय में पूरी होगी
नागरिकता के लिए आने वाले आवेदनों की सेंट्रलाइज्ड सिस्टम से प्रोसेसिंग होगी। दस्तावेज की ऑनलाइन जांच और सुरक्षा एजेंसियों की क्लीयरेंस के बाद नागरिकता प्रमाण पत्र जारी होगा। यह पूरी प्रक्रिया पासपोर्ट जारी करने के समान होगी।
नागरिकता त्याग प्रमाण-पत्र जरूरी नहीं
पाकिस्तान से आए लोगों को पाक उच्चायोग से नागरिकता त्याग प्रमाण-पत्र लेना होता था। अब सरकार इसकी अनिवार्यता खत्म करने पर विचार कर रही है।
गृह मंत्रालय का फॉरेनर्स डिवीजन जारी करेगा नागरिकता संबंधी प्रमाण-पत्र
सूत्रों के अनुसार नए सीएए अधिनियम में नागरिकता प्रमाण पत्र देने वाली कांपिटेंट अथॉरिटी (सक्षम प्राधिकरण) का गठन नहीं होगा। अथॉरिटी का काम गृह मंत्रालय का फॉरेनर्स डिवीजन करेगा। राज्य और जिला स्तर पर अलग प्राधिकरण गठित किए जाएंगे।
1955 के कानून में बदलाव किया गया
2016 में नागरिकता संशोधन विधेयक 2016 (सीएए) पेश किया गया था। इसमें 1955 के कानून में कुछ बदलाव किया जाना था। ये बदलाव थे, भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देना। 12 अगस्त 2016 को इसे संयुक्त संसदीय कमेटी के पास भेजा गया। कमेटी ने 7 जनवरी 2019 को रिपोर्ट सौंपी थी।
2019 में लोकसभा-राज्यसभा से बिल पास हो चुका
11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (सीएबी) के पक्ष में 125 और खिलाफ में 99 वोट पड़े थे। 12 दिसंबर 2019 को इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई। देशभर में भारी विरोध के बीच बिल दोनों सदनों से पास होने के बाद यह कानून की शक्ल ले चुका था। इसे गृहमंत्री अमित शाह ने 9 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया था।
रूल्स देख लेने दीजिए, गलत हुए तो हम उसका विरोध करेंगेः ममता
गृह मंत्रालय के नॉटिफिकेशन से पहले पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा- पहले मुझे नियमों को देखने दीजिए। अगर लोगों को नियमों के तहत उनके अधिकारों से वंचित किया जाता है, तो हम इसके खिलाफ लड़ेंगे। यह चुनाव के लिए बीजेपी का प्रचार है और कुछ नहीं। ममता ने कहा कि आपको 6 महीने पहले नियमों को अधिसूचित करना चाहिए था। यदि कोई अच्छी चीजें हैं, तो हम हमेशा समर्थन और सराहना करते हैं, लेकिन अगर कुछ भी किया जाता है जो देश के लिए अच्छा नहीं है। TMC हमेशा अपनी आवाज उठाएगी और इसका विरोध करेगी। मुझे पता है कि रमजान से पहले आज की तारीख क्यों चुनी गई। मैं लोगों से शांत रहने और किसी भी अफवाह से बचने की अपील करती हूं।
जो भी देश हित में हो, वो किया जाना चाहिएः अर्जुन मुंडा
ममता के बयान पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि जो लोग चीजों को केवल राजनीतिक चश्मे से देखते हैं, उनकी राय अलग हो सकती है, मैं इसमें नहीं जाऊंगा। लेकिन, सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि जो भी देश हित में हो, वो किया जाना चाहिए।