Head Office

SAMVET SIKHAR BUILDING RAJBANDHA MAIDAN, RAIPUR 492001 - CHHATTISGARH

tranding

0 विदेश मंत्रालय बोला- शव भारत लाने की कोशिश जारी

गाजा। इजराइल हमास जंग के बीच गाजा में सोमवार (13 मई) को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) एजेंसी के लिए काम कर रहे एक पूर्व भारतीय सैनिक की मौत हो गई। पूर्व सैनिक का नाम कर्नल वैभव अनिल काले था, जो नागपुर का रहने वाला था।
यूएन एजेंसी को जॉइन करने से पहले वह जम्मू-कश्मीर राइफल्स में तैनात था। वैभव की मौत पर बुधवार को भारत के विदेश मंत्रालय ने दुख जताया है। मंत्रालय ने एक बयान जारी कर काले के परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।

उन्होंने बताया कि सरकार वैभव के शव को भारत लाने के लिए लगातार यूएन के संपर्क में है। यूएन ने भी इस मामले में पर दुख जताया है। वैभव की मौत उस वक्त हुई, जब वे राफा में मानवीय मदद पहुंचा रहे थे। इसी दौरान इजराइली टैंक ने उन पर हमला कर दिया।

कौन थे कर्नल वैभव अनिल काले
कर्नल वैभव अनिल काले ने भारतीय सेना से 2022 में रिटायरमेंट (वीआरएस) लिया था। वे तीन हफ्ते पहले ही यूएन के सुरक्षा एवं संरक्षा विभाग से जुड़े थे। 46 साल के वैभव अप्रैल 1998 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे। उन्होंने 2009 से 2010 तक संयुक्त राष्ट्र में मुख्य सुरक्षा अधिकारी के तौर पर अपनी सेवाएं दी थीं। वैभव ने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से बिहेवियरल साइंस और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून में ग्रेजुएशन किया था। उन्होंने आगे की पढ़ाई आईएमएम लखनऊ और डीएवीवी इंदौर समेत अन्य संस्थानों से भी की थी। वैभव के परिवार के दूसरे सदस्य भी भारतीय मिलिट्री में रह चुके हैं। उनके भाई ग्रुप कैप्टन विशाल काले वायुसेना में भर्ती थे, जबकि वैभव के कजिन आमे काले भी सेना में कर्नल रह चुके हैं। वैभव के एक और रिश्तेदार प्रशांत कारदे भी एयरफोर्स से रिटायर हुए हैं।

पठानकोट एयरबेस हमले से कनेक्शन
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सैनिक रहते हुए वैभव कई एंटी-टेरर ऑपरेशन्स का हिस्सा रहे। इस दौरान कई बार सियाचिन बेस कैंप में भी उनकी तैनाती रही। वैभव काले ने पठानकोट एयरबेस पर 2016 के हुए आतंकवादी हमले को रोकने में से जुड़े ऑपरेशन में शामिल थे। उनके करीबी दोस्त लेफ्टिनेंट कर्नल हांगे ने बताया कि वैभव पठानकोट हमले के समय भारतीय सेना की 11 जम्मू-कश्मीर राइफल्स बटालियन की कमान संभाल रहे थे। उन्होंने अपनी यूनिट के साथव मिलकर ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई थी। 2 जनवरी, 2016 को जैश के आतंकियों ने पठानकोट में एयरबेस पर हमला कर दिया था। इसमें 7 जवान शहीद हो गए थे। 36 घंटे एनकाउंटर और तीन दिन तक कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाया गया था।