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0 श्रीलंका को अब 4 गुना ज्यादा मदद देगी भारत सरकार

नई दिल्ली। मोदी 3.0 सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट पेश किया। इसमें विदेश मंत्रालय को 22 हजार 154 करोड़ रुपए दिए गए हैं। यह 2023-24 के बजट से करीब 24% यानी कम है।

पिछले साल विदेश मंत्रालय को 29 हजार 121 करोड़ रुपए दिए गए थे। इसमें 6,967 हजार करोड़ की कटौती की गई है। विदेश मंत्रालय के बजट में 'नेबर्स फर्स्ट पॉलिसी' और 'सागर मिशन' के तहत भारत के पड़ोसी और मित्र देशों को आर्थिक मदद के लिए राशि आवंटित की गई है।

इनमें भूटान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव समेत 10 देश शामिल हैं। इसके अलावा कई अफ्रीकी, लैटिन अमेरिकी और यूरोएशियाई देशों के लिए भी एड का प्रावधान है। सबसे ज्यादा राशि भूटान को दी गई है। भूटान के लिए 2 हजार 68 करोड़ का पैकेज रखा गया है। हालांकि, यह पिछले साल से करीब 400 करोड़ कम है।

श्रीलंका और नेपाल के लिए बजट में बढ़ोतरी हुई है। इसमें श्रीलंका की मदद 60 करोड़ से 4 गुना से ज्यादा बढ़ाकर 245 करोड़ कर दी है। वहीं नेपाल में चीन समर्थक केपी ओली की सरकार बनने के बावजूद देश के लिए आर्थिक मदद को 650 करोड़ से बढ़ाकर 700 करोड़ किया गया है।

चाबहार पोर्ट पर 100 करोड़ खर्च करेगी भारत सरकार
वहीं अफगानिस्तान, मालदीव और म्यांमार को मिलने वाला पैकेज कम कर दिया गया है। मालदीव को पिछले साल 770 करोड़ रुपए की मदद दी गई थी, जबकि इस साल इसे घटाकर 400 करोड़ कर दिया गया है। ईरान के चाबहार पोर्ट के लिए बजट में 100 करोड़ रुपए खर्च करने की बात कही गई है। इसी के साथ भारत सरकार दूसरे देशों की मदद के लिए कुल 4 हजार 773 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इसके अलावा 7 अक्टूबर से इजराइल और गाजा में जारी जंग के बावजूद बजट में गाजा या फिलिस्तीन के लिए अलग से आर्थिक मदद का जिक्र नहीं किया गया है।

मालदीव के पैकेज में सबसे ज्यादा कटौती
बजट में सबसे ज्यादा कटौती चीन समर्थक मालदीव के पैकेज में की गई है। 2023 में मालदीव के लिए आर्थिक मदद को 183 करोड़ से बढ़ाकर 770 करोड़ किया गया था। वहीं इस साल इसे 400 करोड़ कर दिया गया है। दरअसल, पिछले साल नवंबर में मालदीव में 'इंडिया आउट' कैंपेन चलाने वाले मोहम्मद मुइज्जू की सरकार आने के बाद से दोनों देशों में तनाव है। सरकार बनाते ही मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों को मालदीव से निकालने की घोषणा की थी। इस साल मई में सभी 88 सैनिक भारत लौट आए। इसके अलावा 4 जनवरी को PM मोदी के लक्षदीप दौरे के बाद मालदीव के मंत्रियों ने मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि भारत सर्विस के मामले में मालदीव का मुकाबला नहीं कर सकता। इस विवाद के बाद भारत से मालदीव जाने वाले पर्यटकों की संख्या में बड़ी गिरावट आई। दोनों देशों में तनाव के बीच राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारत के साथ हाइड्रोग्राफिक सर्वे एग्रीमेंट भी खत्म कर दिया था।

चाबहार पोर्ट लीज पर लेने के बाद अब 100 करोड़ रुपए आवंटित
बजट में सरकार ने चाबहार पोर्ट के लिए 100 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। दरअसल 13 मई को भारत और ईरान के बीच एक डील हुई थी। इसके तहत भारत ने ईरान के चाबहार में शाहिद बेहेशती पोर्ट को 10 साल के लिए लीज पर लिया था। अब पोर्ट का पूरा मैनेजमेंट भारत के पास होगा। भारत और ईरान दो दशक से चाबहार पर काम कर रहे हैं। भारत दुनियाभर में अपने व्यापार को बढ़ाना चाहता है। चाबहार पोर्ट इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। भारत इस पोर्ट की मदद से ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के साथ सीधे व्यापार कर सकता है। ईरान और भारत ने 2018 में चाबहार पोर्ट तैयार करने का समझौता किया था। चाबहार को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट की तुलना में भारत के रणनीतिक पोर्ट के तौर पर देखा जा रहा है। यह बंदरगाह के विकास के बाद से अफगानिस्तान माल भेजने का यह सबसे अच्छा रास्ता है। भारत अफगानिस्तान को गेंहू भी इस रास्ते से भेज रहा है। अफगानिस्तान के अलावा यह पोर्ट भारत के लिए मध्य एशियाई देशों के भी रास्ते खोलेगा। इन देशों से गैस और तेल भी इस पोर्ट के जरिए लाया जा सकता है।

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