0 इन्होंने समझाया कैसे राजनीतिक संस्थाएं समाज की तरक्की पर असर डालती हैं
स्टॉकहोम। अमेरिका और ब्रिटेन के 3 वैज्ञानिकों को इकोनॉमिक्स का नोबेल प्राइज दिया गया है। विजेताओं में तुर्किश मूल के अमेरिकी डेरन एसेमोग्लू, ब्रिटिश मूल के अमेरिकी साइमन जॉनसन और ब्रिटेन के जेम्स ए रॉबिनसन शामिल हैं।
इन्हें अलग-अलग राजनीतिक और सामाजिक संस्थाओं के बनने और समाज की तरक्की पर उनके पड़ने वाले असर पर रिसर्च के लिए ये सम्मान मिला है। तीनों अर्थशास्त्रियों ने बताया है कि कैसे गरीब देश सालों की तरक्की के बावजूद अमीर देशों की तरह विकसित नहीं हो पाए हैं।
विजेताओं ने राजनीतिक संस्थाओं के समाज पर असर को 3 तरह से समझाया है
पहलाः रिसोर्सेज का बंटवारा कैसे होता है। समाज में फैसले लेने की शक्ति किसके पास है। इस आधार पर अमीर वर्ग और आम जनता के बीच संघर्ष रहता है।
दूसराः जनता संगठित होकर कभी-कभी सत्ताधारी वर्ग को धमकाती है। ऐसा करके वह सत्ता से अपनी बात मनवाते हैं। इसलिए यह कहा जा सकता है कि समाज की ताकत सिर्फ कुछ फैसले लेने तक सीमित नहीं है।
तीसराः कई बार अमीर सत्ताधारी वर्ग की यह मजबूरी होती है कि वे फैसला लेने का अधिकार जनता को सौंप दें।
महिला इकोनॉमिस्ट को मिला था 2023 का नोबेल
2023 का इकोनॉमिक्स का नोबेल अमेरिका की क्लॉडिया गोल्डिन को मिला था। उन्हें मार्केट में महिलाओं के कामकाज और उनके योगदान को बेहतर तरह से समझाने के लिए ये सम्मान दिया गया था। नोबेल कमेटी ने लेबर मार्केट में गोल्डिन के रिसर्च को बेहतरीन माना था। उनकी रिसर्च में लेबर मार्केट में महिलाओं के साथ हो रहे पक्षपात और उनकी कमाई को लेकर जानकारी दी गई थी।
भारतीय अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को 1998 में मिला था नोबेल
अमर्त्य सेन इकलौते ऐसे भारतीय हैं, जिन्हें 1998 में इस सम्मान से नवाजा गया था। उन्हें इकोनॉमिक साइंस में वेलफेयर इकोनॉमिक्स और सोशल चॉइस थ्योरी में योगदान के लिए नोबेल प्राइज से नवाजा गया था। 2022 में बैंकिंग सेक्टर के एक्सपर्ट तीन इकोनॉमिस्ट बेन बेर्नाके, डगलस डायमंड और फिलिप डिविग को नोबेल प्राइज मिला था। तीनों ने आर्थिक मंदी के दौर में बैंकिंग सेक्टर को बेहतर करने पर रिसर्च किए और मानवता को बचाने के बेहतर तरीके बताए थे।