0 एलएसी से सैनिक पीछे हटा सकते हैं दोनों देश, इससे गलवान जैसा टकराव टाला जा सकेगा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिक्स समिट में शिरकत से पहले भारत और चीन के बीच बड़ा समझौता हुआ है। दोनों देश लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर पेट्रोलिंग के लिए सहमत हो गए हैं। इससे पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच सीमा विवाद सुलझ सकता है और टकराव में भी कमी आ सकती है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के सचिव विक्रम मिंस्री ने सोमवार को इस समझौते की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पिछले कई हफ्तों से भारत और चीन के अधिकारी इस मुद्दे पर बातचीत कर रहे थे। सेना के अफसर भी बातचीत में शामिल थे।
पेट्रोलिंग के नए सिस्टम पर सहमति के बाद दोनों देश सेनाएं पीछे हटा सकते हैं। देपसांग प्लेन डेमचोक में सैनिकों को पेट्रोलिंग पॉइंट्स पर जाने की इजाजत अभी नहीं है। यहां सेनाएं अभी मौजूद हैं। पेट्रोलिंग का नया सिस्टम इन्हीं पॉइंट्स से संबंधित है। इससे 2020 के गलवान जैसे टकराव को टाला जा सकता है।
आर्मी चीफ ने कहा था- हमें लड़ना भी है, सहयोग भी करना है
1 अक्टूबर को भारत के आर्मी चीफ उपेंद्र द्विवेदी ने कहा था कि चीन के साथ भारत के हालात स्थिर हैं, लेकिन ये सामान्य नहीं हैं, काफी संवेदनशील हैं। चीन के साथ हमें लड़ना भी है, सहयोग करना है, साथ रहना है, सामना करना है और चुनौती भी देनी है। उन्होंने कहा था कि भारत और चीन के बीच अप्रैल से अब तक कमांडर लेवल की 17 बैठकें हुई हैं। इन बैठकों में हमने कई मुद्दों पर चर्चा की है।
जिनेवा में विदेश मंत्री ने कहा था- चीन से विवाद का 75% हल निकला
विदेश मंत्री जयशंकर ने 12 सितंबर को स्विट्जरलैंड के शहर जिनेवा में एक समिट के दौरान कहा था कि चीन के साथ विवाद का 75% हल निकल गया है। विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि सीमा पर बढ़ते सैन्यीकरण का मुद्दा अभी भी गंभीर है। जयशंकर ने कहा कि 2020 में चीन और भारत के बीच गलवान में हुई झड़प ने दोनों देशों के रिश्तों को बुरी तरह प्रभावित किया है। सीमा पर हिंसा होने के बाद कोई यह नहीं कह सकता कि बाकी रिश्ते इससे प्रभावित नहीं होंगे। हालांकि, 25 सितंबर को न्यूयॉर्क में एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में उन्होंने 75% विवाद हल होने वाले अपने बयान को लेकर सफाई दी। उन्होंने कहा, 'मैंने यह बात सिर्फ सैनिकों के पीछे हटने के संदर्भ में कही थी।