0 संसद में पास हुआ तो 2029 तक एक साथ देशभर में चुनाव
नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट से एक देश-एक चुनाव लागू करने के विधेयक को मंजूरी मिल गई है। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है। इसमें कहा गया है कि अगले हफ्ते बिल को संसद में पेश किया जा सकता है। सरकार इस बिल पर आम सहमति बनाना चाहती है, लिहाजा संसद से बिल को चर्चा के लिए जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) के पास भेजा जाएगा। जेपीसी इस बिल पर सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करेगी।
सितंबर में सरकार ने इसके लिए बनाई गई हाईलेवल कमेटी की सिफारिशों को मंजूरी दी थी, जिसमें लोकसभा, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों को चरणबद्ध तरीके से एक साथ कराने का प्रस्ताव था।
सिफारिशों के अनुसार पहला बिल संविधान के अनुच्छेद 82ए में संशोधन करेगा, जिससे लोकसभा और विधानसभाओं के कार्यकाल की समाप्ति एक साथ हो सके। इस बिल को लागू करने के लिए राज्यों से सहमति की जरूरत नहीं होगी, लेकिन अगर स्थानीय निकाय चुनावों को लोकसभा और विधानसभा चुनावों के साथ करने का प्रस्ताव आता है, तो उसे कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों की विधानसभाओं से मंजूरी की आवश्यकता होगी।
बिल पास हुआ तो 2029 तक वन नेशन-वन इलेक्शन
0 कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, एक देश-एक चुनाव लागू करने के लिए कई राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल घटेगा।
0 जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव 2023 के आखिर में हुए हैं, उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है।
0 विधि आयोग के प्रस्ताव पर सभी दल सहमत हुए तो यह 2029 से ही लागू होगा। इसके लिए दिसंबर 2026 तक 25 राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने होंगे।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रिपोर्ट सौंप चुके
वन नेशन वन इलेक्शन पर विचार के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर 2023 को एक पैनल बनाया गया था। इस पैनल ने स्टेकहोल्डर्स-एक्सपर्ट्स से चर्चा के बाद 191 दिन की रिसर्च के बाद 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
क्या है वन नेशन वन इलेक्शन
भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एकसाथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे। आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एकसाथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।