
रायपुर/नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के हिंसा मामले में जेल में बंद विधायक देवेंद्र यादव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद जमानत के निर्देश जारी कर दिए हैं। कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद शुक्रवार दोपहर या शाम तक उनकी जेल से रिहाई संभव है। वे 17 अगस्त से जेल में बंद थे।
श्री यादव के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने उन्हें राहत दी। अब कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद उन्हें जेल से बाहर लाया जाएगा।
10 जून 2024 को बलौदाबाजार में सतनामी समाज ने जैतखाम तोड़े जाने का विरोध करते हुए कलेक्टर और एसपी ऑफिस जला दिया था। इस मामले में भीड़ को भड़काने, आंदोलनकारियों का साथ देने का आरोप लगाकर कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव पर केस दर्ज किया गया था। सुप्रीम कोर्ट से इस केस को लेकर दिए गए दिशा निर्देश से जुड़े दस्तावेज बलौदाबाजार की अदालत में पेश किए जाएंगे। भिलाई कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव पर पुलिस ने इन डेढ़ दर्जन धाराओं में अपराध दर्ज किया है।
हिंसा मामले में कुल 187 लोग जेल में बंद थे। जिसमें से 28 लोगों को जमानत मिल चुकी है। वहीं बार बार विधायक की जमानत याचिका खारिज हो रही थी। जिसके बाद विधायक के वकील ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। वहीं आज कोर्ट से राहत मिल गई।
जमानत में सुप्रीम कोर्ट में क्या दलील दी
विधायक देवेंद्र यादव की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपने बचाव में कहा गया कि बलौदाबाजार हिंसा घटना वाले दिन वह सिर्फ सभा में शामिल हुए, लेकिन वो मंच पर नहीं गए, उन्होंने मंच से कोई भाषण नहीं दिया, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने भीड़ को उकसाया होगा। कार्यक्रम में शामिल होने और वापस लौट जाने का समय हिंसक घटना के समय से बिल्कुल अलग है। जहां हिंसक घटना हुई वहां देवेंद्र यादव मौजूद नहीं थे। उनकी गिरफ्तारी भिलाई स्थित उनके घर से हुई जो की घटनास्थल से कई किलोमीटर दूर है। पुलिस की कार्रवाई पूरी तरह से गलत और राजनीति से प्रेरित है।