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0 10 मार्च तक तीनों ईओडब्ल्यू की रिमांड पर रहेंगे
0 टीम करेगी पूछताछ, माया-मनोज भी हिरासत में

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पिछली सरकार में हुए डीएमएफ घोटाला मामले में गुरुवार को रायपुर की स्पेशल कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने सुनवाई के बाद सौम्या चौरसिया, निलंबित आईएएस रानू साहू और कारोबारी सूर्यकांत तिवारी की 5 दिन की कस्टोडियल रिमांड बढ़ा दी है।

दरअसल, कोर्ट में ईओडब्ल्यू की टीम ने तीनों की रिमांड बढ़ाने की मांग की। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने 10 मार्च के लिए कस्टोडियल रिमांड पर भेज दिया है। इससे पहले बुधवार को ईओडब्ल्यू ने माया और मनोज द्विवेदी को रिमांड पर लिया था।
 
माया और मनोज द्विवेदी भी ईओडब्ल्यू की हिरासत में
इधर डीएमएफ घोटाले में ईओडब्ल्यू ने कार्रवाई तेज कर दी है। जेल में बंद माया वारियर और मनोज द्विवेदी को एसीबी-ईओडब्ल्यू की टीम ने रिमांड पर लिया है। गुरुवार को कोर्ट की अनुमति के बाद 10 मार्च तक एजेंसी ने इन्हें रिमांड पर लिया है। अगले 5 दिन तक पूछताछ की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत के बाद भी रिहाई मुश्किल
3 मार्च सोमवार को कोल घोटाले में रानू साहू, सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी समेत 12 लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी, लेकिन जमानत मिलने से पहले ही ईओडब्ल्यू ने डीएमएफ मामले में प्रोडक्शन वारंट में तीनों को गिरफ्तार कर लिया। ऐसे में अंतरिम राहत मिलने के बाद भी तीनों की रिहाई नहीं हो पाई है।

ढाई साल बाद जेल से छूटे 6 आरोपी
अवैध कोल परिवहन केस में सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत के बाद खनिज अधिकारी शिवशंकर नाग समेत 6 आरोपी रायपुर केंद्रीय जेल से बाहर आ गए हैं। मंगलवार देर शाम सभी को छोड़ दिया गया है। पिछले ढाई साल से नाग जेल में बंद थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई। उनके साथ रोशन सिंह, हेमंत जायसवाल, चंद्रप्रकाश जायसवाल और मोइनुद्दीन कुरैशी भी जेल से छूट गए हैं। इस मामले में निलंबित आईएएस रानू साहू, सौम्या चौरसिया और कारोबारी सूर्यकांत को अंतरिम राहत मिली है, लेकिन तीनों को ईओडब्ल्यू ने डीएमएफ घोटाला मामले में गिरफ्तार किया है। ऐसे में उनकी मुश्किलें कम नहीं हुई है।

डीएमएफ घोटाला क्या है
प्रवर्तन निदेशालय की रिपोर्ट के आधार पर ईओडब्ल्यू ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है। केस में यह तथ्य निकाल कर सामने आए हैं कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितता पाई गई। यह घोटाला करीब 90 करोड़ का बताया गया है। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया। ईडी की जांच के बाद अब ईओडब्ल्यू की टीम अपनी जांच तेज कर दी है।
ईडी की जांच ने डीएमएफ घोटाले के तौर-तरीकों का खुलासा किया है। इसमें यह बात सामने आई है कि ठेकेदारों के बैंक खाते में जमा की गई रुपए का बड़ा हिस्सा ठेकेदारों ने सीधे कैश में निकाल लिया। जांच के दौरान ईडी ने ठेकेदारों, सरकारी और उनके सहयोगियों के अगल-अगल ठिकानों पर रेड मारी थी।