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0 मंत्री ने कहा- सप्लायर और अधिकारियों की मिलीभगत से हुई गड़बड़ी, ईओडब्ल्यू जांच जारी
0 बजट सत्र में सत्ता पक्ष के ही विधायक अपने मंत्रियों से कई गंभीर मुद्दों पर बहस करते दिख रहे
 
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र में सत्ता पक्ष के ही विधायक अपने मंत्रियों से गंभीर मुद्दों पर बहस करते दिख रहे हैं। 9वें दिन भी सत्ता पक्ष के विधायक अजय चंद्राकर की मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल से सीजीएमएससी (छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन) द्वारा रिएजेंट खरीदी में गड़बड़ी मामले में जमकर बहस हुई। बहस इतनी बढ़ गई कि अजय चंद्राकर ने कह दिया कि भाषण मत दीजिए, मेरे सवाल का जवाब दीजिए।इस पर मंत्री ने भी कहा कि गड़बड़ी का पता चलते ही ईओडब्ल्यू को जांच के लिए दिया है। अब मंत्री अफसर को सूली पर तो नहीं टांग सकता न। करीब 10 मिनट तक दोनों के बीच बहस होती रही।
 
भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने रिएजेंट खरीदी की मांग पत्र से लेकर राशि और सप्लाई के दिनों का मामला उठाया। इस पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने 453 करोड़ रुपए की रिएजेंट की खरीदी की जानकारी दी। इस सवाल के जवाब में श्री चंद्राकर को 792 और 495 पेज की जानकारी उपलब्ध कराई गई। इसमें बताया गया कि मोक्षित कॉर्पोरेशन से हुए खरीदी के बदले 338 करोड़ रुपए का भुगतान रोका गया। 
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने बताया कि मोक्षित कॉर्पोरेशन से खरीदी में तीन प्रकार की अनियमितता पाई गई। दस गुना ज्यादा दर पर आपूर्ति की गई। 700 मशीन आज तक चालू नहीं हुई है और क्लोज की जगह ओपन मशीन की आपूर्ति की गई। श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि मांग और बजट से अधिक राशि की खरीदी की गई। मोक्षित कॉर्पोरेशन से 385 करोड़ रुपए की खरीदी की गई। विभागीय जांच करने वाले अधिकारी भी गड़बड़ी में मिले हुए थे।
स्वास्थ्य मंत्री श्री जायसवाल ने बताया कि विभागीय जांच रिपोर्ट में विभागीय अधिकारी ही दोषी पाए गए। विभाग के 02 बड़े अधिकारी सहित कुल 15 अधिकारियों की मिलीभगत पाई है। मोक्षित कॉर्पोरेशन सहित अधिकारियों के नाम ईओडब्ल्यू को भेजा गया है। खरीदी दर को आठ-दस गुना बढ़ा कर खरीदी की गई। सप्लायर को ईओडब्ल्यू ने जेल में डाला है। विभाग ने सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एनओसी जारी किया है।