
रायपुर। साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को भारतीय साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कार ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित किया जाएगा। इस घोषणा के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि पुरस्कार से मुझे बहुत खुशी हुई है। उन्होंने कहा कि पुरस्कार की जिम्मेदारी को मैंने महसूस किया। जितना मुझे लिखना चाहिए था, उतना मैं लिख नहीं पाया. मैं कोशिश करूंगा कि जो शेष रह गया, उसे आगे बढ़ाऊं. जो अभी मैं सोच रहा हूं, उसको लिख सकूं, ऐसा मेरे मन में आता है।
उन्होंने कहा कि बहुत अच्छा लगता है, खुश होता हूं, बड़ी उथल-पुथल है कि यह पुरस्कार कैसा लगा, बहुत बढ़िया लगा। मेरे पास शब्द नहीं है कहने के लिये। एक जिम्मेदारी सी महसूस होती है। परिवारिक कारणों और आसपास के माहौल में भी लिखना बहुत मुश्किल है। लेकिन कोशिश करनी चाहिए। अपनी जिंदगी की एक किताब जरूर लिखनी चाहिए। ताकि आप दुनिया के बारे में क्या सोचते हैं लोग जान सके। पुरस्कार को लेकर उन्होंने आगे कहा कि अगर मैं कहूं कि बहुत मीठा लगा कहूंगा, तो मैं तो शुगर का मरीज हूं, तो मैं कैसे कह दूं, कि बहुत मीठा लगा। उन्होंने कहा कि बहुत अच्छा लग रहा है।