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कोपेनहेगन। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार पश्चिमी देशों को स्पष्ट किया कि भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई कश्मीर मुद्दे को लेकर नहीं बल्कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर आतंकवादी हमले के जवाब में की थी।
डॉ. जयशंकर ने डेनमार्क के एक अखबार ‘पोलिटिकेन’ को दिए साक्षात्कार में कहा, “यह कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष नहीं था, बल्कि 22 अप्रैल को पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा 26 लोगों की बर्बरतापूर्वक की गयी हत्या के जवाब में की गयी भारत की कार्रवाई थी।”
उन्होंने पश्चिम देशों द्वारा पिछले कुछ दशकों से पाकिस्तान को दिये जा रहे समर्थन पर कहा कि पाकिस्तान 1947 से ही कश्मीर में हमारी सीमाओं का उल्लंघन करता आ रहा है, लेकिन लोकतंत्र का हिमायती यूरोप इस क्षेत्र में सैन्य तानाशाहों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा है।
उन्होंने पश्चिमी देशों पर तंज कसते हुए कहा, “पश्चिमी देशों की तरह किसी ने भी पाकिस्तान के सैन्य शासन का समर्थन नहीं किया।” एक सवाल पर उन्होंने कहा “विश्व और यूरोप के बारे में मेरा दृष्टिकोण अपने अनुभवों के आधार पर है। आप सीमाओं की अखंडता के बारे में बात करते हैं - तो क्यों न हम अपनी सीमाओं की अखंडता से शुरुआत करें। यही वह जगह है जहाँ मेरी दुनिया शुरू होती है, लेकिन हमें हमेशा कहा गया है कि हमें इसे खुद ही हल करना होगा।”
रूस से ईधन के आयात के बारे में विदेश मंत्री ने बताया कि यूरोप - अपने आक्रोश और प्रतिबंधों के बावजूद - अभी भी रूस से ईधन का आयात करता है। साथ ही, यूरोप भारत सहित सभी विकासशील देशों के लिए ईधन की कीमतें बढ़ा रहा है।
पश्चिमी देशों को रूस से समस्या थी, इसलिए इन धनी देशों ने पश्चिम एशियाई देशों को रुख किया और तेल की आपूर्ति के लिए बढ़ी हुई कीमतों की पेशकश की। इसका नतीजा यह हुआ कि कई देश इस कीमत को वहन नहीं कर सकते।