
0 एसीबी-ईओडब्ल्यू ने रानू, सौम्या और सूर्यकांत समेत 9 लोगों को बनाया आरोपी
0 अफसर-नेताओं को 25-40% मिला कमीशन
रायपुर। छत्तीसगढ़ डीएमएफ घोटाला केस (डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन) में एसीबी-ईओडब्ल्यू की टीम ने रायपुर की स्पेशल कोर्ट में 6000 पन्नों का चालान पेश किया। चार्जशीट में रानू साहू, सौम्या चौरसिया और सूर्यकांत तिवारी समेत 9 लोगों को आरोपी बनाया है।
जांच रिपोर्ट में यह पाया गया है कि करीब 75 करोड़ का स्कैम हुआ है। टेंडर की राशि का 40% सरकारी अफसर को कमीशन के रूप में दिया गया है। प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20% अलग-अलग कमीशन सरकारी अधिकारियों ने ली है।
अरेस्ट आरोपियों में कोरबा डीएमएफ के तत्कालीन नोडल अधिकारी भरोसा राम ठाकुर, तत्कालीन जनपद सीईओ भुनेश्वर सिंह राज, राधेश्याम मिर्झा और वीरेंद्र कुमार राठौर शामिल हैं। सभी 9 आरोपी न्यायिक रिमांड पर जेल में बंद हैं। अगली सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं हुई है।
12 लोगों को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत, फिर भी जेल में
दरअसल, 3 मार्च को कोल घोटाले में रानू साहू, सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी समेत 12 लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी, लेकिन जमानत मिलने से पहले ही ईओडब्ल्यू ने डीएमएफ मामले में प्रोडक्शन वारंट लेकर तीनों को गिरफ्तार कर लिया था। बाद में एक आरोपी मनोज द्विवेदी की गिरफ्तारी भी हुई थी।
क्या है डीएमएफ घोटाला
प्रदेश सरकार की ओर से जारी की गई जानकारी के मुताबिक ईडी की रिपोर्ट के आधार पर ईओडब्ल्यू ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है। इस केस में यह तथ्य निकल कर सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएं की गईं है। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया।
ईडी के तथ्यों के मुताबिक टेंडर करने वाले संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल और शेखर नाम के लोगों के साथ मिलकर पैसे कमाए गए।