
0 20 साल से पैरालाइज्ड ऑड्रे क्रूज ने सिर्फ सोचकर लैपटॉप पर अपना नाम लिखा
0 ऑड्रे क्रूज ब्रेन इम्प्लांट के जरिए कंप्यूटर कंट्रोल करने वाली दुनिया की पहली महिला बनी
सैन फ्रांसिस्को। 20 साल से पैरालाइज्ड ऑड्रे क्रूज न्यूरालिंक ब्रेन इम्प्लांट के जरिए कंप्यूटर कंट्रोल करने वाली दुनिया की पहली महिला बन गई हैं। ऑड्रे क्रूज ने न्यूरालिंक चिप की मदद से मेंटल कमांड्स (दिमागी निर्देश) देकर पहली बार लैपटॉप पर अपना नाम लिखा और कुछ डूडल्स यानी तस्वीरें बनाईं। जिसकी कुछ फोटोज ऑड्रे क्रूज के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स से शेयर की गई हैं।
मैंने 20 सालों में पहली बार अपना नाम लिखने की कोशिश की
पहले पोस्ट में लैपटॉप स्क्रीन की एक फोटो शेयर की गई, जिसमें व्हाइट स्क्रीन पर डिजिटली हैंडरिटन 'ऑड्रे' लिखा दिखाई दे रहा है। इस फोटो को शेयर कर उन्होंने ने लिखा कि मैंने 20 सालों में पहली बार अपना नाम लिखने की कोशिश की। मैं इस पर और काम कर रही हूं। वहीं दूसरे पोस्ट में डूडल्स की दो फोटोज शेयर कर ऑड्रे क्रूज ने लिखा, 'ये रहे मेरे बनाए कुछ और डूडल्स। इमेजिन कीजिए कि आपकी पॉइंटर फिंगर लेफ्ट क्लिक है और कर्सर मूवमेंट आपकी रिस्ट यानी कलाई से होता है। मैं फिजिकल मूवमेंट किए बिना, ये कर रही हूं। टेलीपैथी का इस्तेमाल करते हुए बस एक सामान्य दिन। ऑड्रे क्रूज ने जो डूडल्स बनाए हैं, उनमें एक रेड हार्ट, फेस, बर्ड और एक पिज्जा दिखाई दे रहा है। लैपटॉप स्क्रीन पर यह सभी डूडल्स ऑड्रे ने टेलीपैथी के जरिए बनाए हैं।
न्यूरालिंक के को-फाउंडर इलॉन मस्क का रिएक्शन
न्यूरालिंक के को-फाउंडर इलॉन मस्क ने इस उपलब्धि पर रिएक्शन देते हुए एक्स पर लिखा कि वह सिर्फ सोचकर ही अपने कंप्यूटर को कंट्रोल कर रही हैं। ज्यादातर लोगों को एहसास ही नहीं होता कि यह संभव है।
पिछले हफ्ते ऑड्रे क्रूज के ब्रेन में चिप इंप्लांट की गई थी
ऑड्रे क्रूज को न्यूरालिंक के प्राइम क्लिनिकल ट्रायल में पेशेंट-9 के नाम से जाना जाता है। पिछले हफ्ते मियामी यूनिवर्सिटी के हेल्थ सेंटर में ऑड्रे क्रूज के ब्रेन में यह चिप इंप्लांट की गई। ऑड्रे क्रूज ने एक्स पर लिखा कि उन्होंने मेरे सिर में एक छेद किया और मेरे मोटर कॉर्टेक्स में 128 थ्रेड्स डाले। मोटर कॉर्टेक्स मस्तिष्क का वह हिस्सा है जो चलने, हाथ हिलाने जैसे काम को कंट्रोल करने में मदद करता है। ऑड्रे क्रूज ने यह भी बताया कि जो चिप उनके ब्रेन में इंप्लांट की गई है, उसका साइज काफी छोटा है। ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस यानी बीसीआई टेक्नोलॉजी उन्हें दिमाग का यूज कर कंप्यूटर को कंट्रोल करने में उनकी हेल्प करती है।
मैं जल्द ही घर जाऊंगी और वीडियो पोस्ट करूंगी
बीसीआई ब्रेन के मूवमेंट सेंटर से सिग्नल को पढ़ता है और उन्हें कर्सर मूवमेंट में बदल देता है। ऑड्रे ने बताया कि यह इम्प्लांट उन्हें फिर से चलने में मदद नहीं करेगा। लेकिन, यह उन्हें रियल टाइम में मेंटल एफर्ट के जरिए डिजिटल डिवाइसेज को यूज करने में सक्षम बनाता है। ऑड्रे ने कहा कि जैसे-जैसे उनकी प्रोग्रेस होगी, वे अपडेट और वीडियो शेयर करती रहेंगी। उन्होंने कहा कि मैं जल्द ही घर जाऊंगी और इस प्रोसेस को और डीटेल से समझाते हुए और वीडियो पोस्ट करूंगी। न्यूरालिंक की टेक्निक का इस्तेमाल करने वाली पहली महिला होने के नाते, उनकी जर्नी अभी शुरू ही हुई है।
सितंबर 2023 में मिली थी मंजूरी
सितंबर 2023 में मस्क की ब्रेन-चिप कंपनी न्यूरालिंक को अपने पहले ह्यूमन ट्रायल के लिए इंडिपेंडेंट इंस्टीट्यूशनल रिव्यू बोर्ड से रिक्रूटमेंट की मंजूरी मिली थी। मंजूरी के बाद से ही न्यूरालिंक ह्यूमन ट्रायल के लिए लोगों की भर्ती कर उन पर इस डिवाइस का ट्रायल किया जा रहा है। न्यूरालिंक के मुताबिक, ट्रायल उन लोगों पर किया जा रहा है, जिन लोगों को सर्वाइकल स्पाइनल कॉर्ड में चोट या एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (एएलएस) के कारण क्वाड्रिप्लेजिया है। स्टडी को पूरा होने में करीब 6 साल लगेंगे। इस दौरान पार्टिसिपेंट को लैब तक आने-जाने का ट्रैवल एक्सपेंस दिया जा रहा है। ट्रायल के जरिए कंपनी यह देखना चाहती है कि ये डिवाइस मरीजों पर कैसे काम कर रही है। मई 2024 में कंपनी को ट्रायल के लिए यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) से मंजूरी मिली थी।
