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0 कहा-पहले हाईकोर्ट जाएं

नई दिल्ली/रायपुर। उच्चतम न्यायालय ने 2160 करोड़ रुपए के कथित शराब घोटाला समेत अन्य मामलों से जुड़े संबंधित धन शोधन के आरोपों में घिरे छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल को सोमवार को कोई राहत न देते हुए उनकी याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने हालांकि पिता-पुत्र से कहा कि वे इस मामले में पहले उच्च न्यायालय या निचली अदालत के समक्ष राहत की गुहार लगा सकते हैं।
पीठ ‌ने याचिका अस्वीकार करते कहा कि हमें तथ्यों की सुनवाई क्यों करनी चाहिए? उच्च न्यायालय और विशेष अदालतें किसलिए हैं? ये असामान्यताएं (सीधे शीर्ष न्यायालय आने का) तभी सामने आती हैं, जब कोई धनी व्यक्ति होता है। अगर ऐसा होगा तो आम नागरिक और आम अधिवक्ता के लिए इस अदालत में कोई जगह नहीं बचेगी। 
पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी याचिका में इस मामले में पड़ताल करने के प्रवर्तन निर्देशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारों को चुनौती देते हुए अग्रिम जमानत की गुहार लगाई है।
गौरतलब है कि इससे संबंधित धन शोधन के मामले में चैतन्य बघेल को उनके जन्मदिन 18 जुलाई को ईडी ने गिरफ्तार किया था।