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0 दावा- एटमी हथियार का भी इस्तेमाल शामिल
0 भारत बोला-पहले से जानकारी थी

रियाद। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक रक्षा समझौते पर साइन किए। इस समझौते के तहत एक देश पर हमला दूसरे पर भी हमला माना जाएगा।

सऊदी प्रेस एजेंसी के मुताबिक, दोनों देशों ने एक जॉइंट स्टेटमेंट में कहा कि यह समझौता दोनों देशों की सुरक्षा बढ़ाने और विश्व में शांति स्थापित करने की प्रतिबद्धता को दिखाता है। इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच डिफेंस कॉर्पोरेशन भी डेवलप किया जाएगा।

रॉयटर्स के मुताबिक इस समझौते के तहत मिलिट्री सहयोग किया जाएगा। इसमें जरूरत पड़ने पर पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का इस्तेमाल भी शामिल है। सऊदी अरब और पाकिस्तान के रक्षा समझौते पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत सरकार को इसकी जानकारी पहले से थी।

समझौते के वक्त पाकिस्तानी सेना प्रमुख भी मौजूद थे
शहबाज शरीफ के साथ पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसीम मुनीर, उप प्रधानमंत्री इशाक डार, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ, वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब और हाई लेवल डेलिगेशन सऊदी पहुंचा है। जिस वक्त इस रक्षा समझौते पर साइन किए जा रहे थे, तब पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसीम मुनीर भी वहां मौजूद थे। एक अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि यह समझौता किसी खास देश या घटना के खिलाफ नहीं हुआ है, बल्कि दोनों देशों के बीच लंबे समय तक चलने वाले गहरे सहयोग का आधिकारिक रूप है।

पाकिस्तान ने नाटो जैसी फोर्स बनाने का सुझाव दिया था
इजराइल ने 9 सितंबर को कतर की राजधानी दोहा में हमास चीफ खलील अल-हय्या को निशाना बनाकर हमला किया था। इस हमले में अल-हय्या बच तो गया था, लेकिन 6 अन्य लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद 14 सितंबर को दोहा में मुस्लिम देशों के कई नेता इजराइल के खिलाफ एक खास बैठक के लिए इकट्ठा हुए थे। यहां पाकिस्तान ने सभी इस्लामी देशों को नाटो जैसी जॉइंट फोर्स बनाने का सुझाव दिया था। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री मोहम्मद इशाक डार ने एक जॉइंट डिफेंस फोर्स बनाने की संभावना का जिक्र करते हुए कहा था कि न्यूक्लियर पावर पाकिस्तान इस्लामिक समुदाय (उम्माह) के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाएगा।

एक्सपर्ट बोले- यह समझौता औपचारिक 'संधि' नहीं है
अफगानिस्तान और इराक में अमेरिका के राजदूत रह चुके जलमय खलीलजाद ने भी इस समझौते पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यह समझौता हालांकि औपचारिक 'संधि' नहीं है, लेकिन इसकी गंभीरता को देखते हुए यह एक बड़ी रणनीतिक साझेदारी मानी जा रही है। खलीलजाद ने आगे कहा कि क्या यह समझौता कतर में इजराइल हमले के जवाब में किया गया है? या ये लंबे समय से चली आ रही अफवाहों की पुष्टि करता है कि सऊदी अरब, पाकिस्तान के एटमी हथियार प्रोग्राम का अघोषित सहयोगी रहा है। खलीलजाद ने पूछा कि क्या इस समझौते में सीक्रेट क्लॉज हैं, अगर हां, तो वे क्या हैं? क्या ये समझौता बताता है कि सऊदी अरब अब अमेरिका की सुरक्षा गारंटी पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहता है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार और ऐसे मिसाइल सिस्टम हैं जो पूरे मिडिल ईस्ट और इजराइल तक मार कर सकते हैं। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि पाकिस्तान ऐसे हथियार भी डेवलप कर रहा है जो अमेरिका तक पहुंच सकते हैं।