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नई दिल्ली। सरकार ने नक्सल मुक्त भारत बनाने के संकल्प की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है और अब नक्सलवाद से 'सबसे अधिक प्रभावित जिलों' की संख्या 6 से घटकर सिर्फ तीन रह गई है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि अब केवल छत्तीसगढ़ के बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर ही वामपंथी उग्रवाद से सबसे अधिक प्रभावित जिले बचे हैं। 
वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या भी 18 से घटकर केवल 11 रह गई है। इस प्रकार अब केवल 11 जिले वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित हैं। वक्तव्य में कहा गया है कि सरकार अगले वर्ष 31 मार्च तक नक्सलवाद की समस्या को पूरी तरह समाप्त करने के लिए कटिबद्ध है।
इस वर्ष नक्सल विरोधी अभियानों की सफलता ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इन अभियानों में 312 वामपंथी कैडरों को मार गिराया गया है, जिनमें सीपीआई (माओवादी) महासचिव और पोलित ब्यूरो/केन्द्रीय समिति के आठ अन्य सदस्य भी शामिल हैं। कुल 836 वामपंथी कैडरों को गिरफ्तार किया गया है और 1639 ने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने के लिए आत्मसमर्पण किया है।
सरकार को बहुआयामी दृष्टिकोण आधारित राष्ट्रीय कार्य योजना और नीति को कठोरता से लागू कर नक्सल खतरे से निपटने में अभूतपूर्व सफलता मिली है। राष्ट्रीय कार्य योजना और नीति में जन-हितैषी अभियानों पर आधारित सटीक आसूचना शामिल है। इन कदमों में सुरक्षा वेक्यूम वाले क्षेत्रों में त्वरित डॉमिनेशन, शीर्ष नेताओं और ओवर ग्राउन्ड कार्यकर्ताओं को निशाना बनाना, कुटिल विचारधारा का मुकाबला करना, बुनियादी ढांचे का तीव्र विकास और कल्याणकारी योजनाओं को पूरी तरह लागू कराना, वित्तीय संसाधनों को पूरी तरह बंद करना, राज्यों एवं केन्द्र सरकारों के बीच बेहतर समन्वय, और माओवादी संबंधित मामलों की त्वरित जांच और अभियोजन शामिल हैं।
वक्तव्य में कहा गया है कि वर्ष 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा जिसे भारत की 'सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौती' कहा गया, वह नक्सलवाद अब स्पष्ट रूप से दम तोड़ रहा है। नक्सलियों ने नेपाल के पशुपति से आंध्र प्रदेश के तिरुपति तक एक लाल कोरिडोर स्थापित करने की योजना बनाई थी। वर्ष 2013 में विभिन्न राज्यों के 126 जिलों में नक्सल-संबंधी हिंसा रिपोर्ट की गई थी, जबकि इस वर्ष मार्च में यह संख्या घटकर केवल 18 जिलों तक सीमित रह गई और इनमें से केवल 06'सबसे अधिक प्रभावित जिले' की श्रेणी में थे।