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0 दीपावली पर 6.05 लाख करोड़ का रिकॉर्ड कारोबार, पिछले साल से 25% ज्यादा
नई दिल्ली। इस बार दिवाली फेस्टिव ट्रेड 25% बढ़कर 6.05 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया। इसमें से 5.40 लाख करोड़ रुपए की बिक्री सामान की हुई, और 65,000 करोड़ रुपए सर्विसेज से आई। पिछले साल यानी 2024 में ये आंकड़ा 4.25 लाख करोड़ रुपए था।

ये आंकड़े 21 अक्टूबर 2025 को कैट की रिपोर्ट में सामने आए हैं। इस रिपोर्ट का नाम 'रिसर्च रिपोर्ट ऑन दीवाली फेस्टिवल सेल्स 2025' है, जो 60 बड़े डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर्स पर सर्वे से बनी है। इसमें स्टेट कैपिटल्स, टियर-2 और टियर-3 सिटीज शामिल हैं।

इंडियन प्रोडक्ट ज्यादा बिके, चाइनीज प्रोडक्ट की डिमांड घटी
इस बार 87% कंज्यूमर्स ने इंडियन मेड गुड्स चुने, जिससे चाइनीज प्रोडक्ट्स की डिमांड में गिरावट आई। ट्रेडर्स ने बताया कि इंडियन प्रोडक्ट्स की बिक्री पिछले साल से 25% ज्यादा हुई। 'वोकल फॉर लोकल' और 'स्वदेशी दीवाली' का असर साफ दिखा। कुल ट्रेड का 85 % हिस्सा नॉन-कॉर्पोरेट और पुराने बाजारों से आया। वहीं ग्रामीण और सेमी-अर्बन इलाकों ने भी 28 प्रतिशत योगदान दिया। यानी, बड़े मॉल्स से ज्यादा फिजिकल मार्केट्स की वापसी हुई है।

जीएसटी रेट घटने से इस बार सामानों की डिमांड बढ़ी
जीएसटी रेट्स कम करने का फायदा देखने को मिला। 72% ट्रेडर्स ने बताया कि डेली यूज वाले आइटम्स जैसे फुटवियर, गारमेंट्स, मिठाई, होम डेकोर और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स पर छूट से सेल्स वॉल्यूम बढ़ा। सरकार के जीएसटी घटाने के कारण फेस्टिव मूड को और मजबूत किया।

कुल सेल्स में किराना और एफएमसीजी की 12% हिस्सेदारी रही
कैट के नेशनल प्रेसिडेंट बी.सी. भारतीय ने कहा कि सेक्टर के हिसाब से, किराना और एफएमसीजी का कुल बिक्री में 12% हिस्सेदारी रही। इसके बाद गोल्ड और ज्वेलरी 10%, होम डेकोर और फर्निशिंग्स मिलाकर 10%, इलेक्ट्रॉनिक्स 8%, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स 7%, रेडीमेड गारमेंट्स 7%, गिफ्ट आइटम्स 7%, मिठाई-नमकीन 5%, टेक्सटाइल्स 4%, पूजा आर्टिकल्स 3%, फ्रूट्स-ड्राई फ्रूट्स 3%, बेकरी 3%, फुटवियर 2% और बाकी मिसलेनियस आइटम्स ने 19% कवर किया। इसी तरह पैकेजिंग, हॉस्पिटैलिटी, कैब सर्विसेज, ट्रैवल, इवेंट मैनेजमेंट, टेंट और सजावट, मैनपावर और डिलीवरी जैसी सर्विसेज के सेक्टर में करीब 65,000 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ।

लॉजिस्टिक्स, पैकेजिंग में 50 लाख टेम्पररी जॉब्स पैदा हुए
करीब 50 लाख टेम्पररी जॉब्स पैदा हुए। ये जॉब्स लॉजिस्टिक्स, पैकेजिंग, ट्रांसपोर्ट और रिटेल सर्विसेज में बने। नॉन-कॉर्पोरेट सेक्टर, जिसमें 9 करोड़ छोटे बिजनेस और लाखों मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं, वो भारत की ग्रोथ का इंजन साबित हुआ।

ट्रेडर्स और कंज्यूमर्स का कॉन्फिडेंस दशक में सबसे ज्यादा
इस बार दोनों तरफ से कॉन्फिडेंस हाई लेवल पर पहुंच गया। ट्रेडर कॉन्फिडेंस इंडेक्स (टीसीआई) 10 में से 8.6 पर पहुंचा, और कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स (सीसीआई) 8.4 पर। ये दशक का सबसे ऊंचा स्तर है। स्टेबल प्राइसिंग और इकोनॉमी में भरोसे ने खरीदारी को बूस्ट दिया।

जीएसटी रेशनलाइजेशन ने कंज्यूमर्स को प्रेरित किया
दिल्ली के चांदनी चौक से सांसद और कैट के सेक्रेटरी जनरल प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि ये सेल्स दिखाती है कि जीएसटी रेशनलाइजेशन और स्वदेशी अपनाने से ट्रेडिंग कम्युनिटी और कंज्यूमर्स दोनों प्रेरित हुए। 'वोकल फॉर लोकल' ने लोगों के दिलों में जगह बनाई। कैट के नेशनल प्रेसिडेंट बीसी भारतीय ने सेक्टर ब्रेकडाउन शेयर किया और कहा- सर्विसेज सेक्टर ने फेस्टिव इकोनॉमी का रिपल इफेक्ट दिखाया। कुल मिलाकर, ये 'आत्मनिर्भर भारत' का बैकबोन साबित हुआ। ट्रेडिशन, टेक्नोलॉजी और ट्रस्ट का फ्यूजन।

 

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