0 गाइडलाइन दरों पर केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड के महत्वपूर्ण निर्णय
0 इंक्रीमेंटल प्रणाली समाप्त, मूल्यांकन प्रक्रिया हुई सरल
0 जिला मूल्यांकन समितियां 31 दिसंबर तक भेजेंगी नए प्रस्ताव
रायपुर। छत्तीसगढ़ में जमीन की नई गाइडलाइन दरों को लेकर लगातार उठ रही आपत्तियों के बीच सरकार ने बड़ा यू-टर्न लेते हुए केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जो तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं। बैठक में हाल ही में जारी की गई बढ़ोतरी से जुड़े कई प्रावधानों को वापस ले लिया गया है। साथ ही पूरे प्रदेश में मूल्यांकन की एक एकरूप व्यवस्था लागू कर दी गई है।
राज्य में 20 नवंबर 2025 से लागू नई गाइडलाइन दरों के संबंध में प्राप्त सुझावों, ज्ञापनों और आपत्तियों पर विचार करने के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एवं वित्त मंत्री ओपी चौधरी के निर्देश पर केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड की बैठक रविवार को आयोजित की गई। बैठक में पंजीयन एवं मूल्यांकन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, सरल और जनहितैषी बनाने के उद्देश्य से कई व्यापक निर्णय लिए गए, जो 08 दिसंबर से तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं।
बैठक में निर्णय लिया गया कि नगरीय क्षेत्रों में 1400 वर्ग मीटर तक के भूखंडों की इंक्रीमेंटल आधार पर गणना की वर्तमान प्रणाली को समाप्त कर दिया जाए। अब पुनः पूर्व प्रचलित उपबंध लागू होंगे, जिसके तहत नगर निगम क्षेत्र में 50 डेसिमल, नगर पालिका में 37.5 डेसिमल और नगर पंचायत में 25 डेसिमल तक स्लैब दर से मूल्यांकन किया जाएगा। इस बदलाव से मूल्यांकन प्रक्रिया सरल होने के साथ ही पारदर्शिता भी बढ़ेगी। इससे नगरीय क्षेत्रों में मूल्यांकन की जटिलता कम होगी और नागरिकों को सीधी राहत मिलेगी।
बहुमंजिला भवनों में फ्लैट, दुकान अथवा कार्यालय के अंतरण के समय अब मूल्यांकन सुपर बिल्ट-अप एरिया के बजाय बिल्ट-अप एरिया के आधार पर होगा। यह प्रावधान लंबे समय से मांग में था, जिससे वर्टिकल डेवलपमेंट को गति मिलेगी और शहरी भूमि का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा। साथ ही बहुमंजिला एवं कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में बेसमेंट और प्रथम तल पर 10 प्रतिशत तथा द्वितीय तल एवं उससे ऊपर के तल पर 20 प्रतिशत की छूट के साथ मूल्यांकन करने का निर्णय लिया गया है, जिससे मध्यम वर्ग को किफायती दरों पर आवासीय एवं व्यावसायिक इकाइयाँ उपलब्ध होंगी।
कमर्शियल कॉम्प्लेक्सों में मुख्य मार्ग से 20 मीटर दूरी पर स्थित संपत्तियों के लिए भूखंड की गाइडलाइन दर में 25 प्रतिशत की कमी करने का भी निर्णय लिया गया है। यह दूरी कॉम्प्लेक्स के मुख्य सड़क की ओर स्थित निर्मित हिस्से से मापी जाएगी, जिससे वास्तविक बाज़ार स्थिति के अनुरूप मूल्यांकन संभव होगा।
केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड ने यह भी निर्देश दिए कि हाल ही में बढ़ाई गई दरों पर प्राप्त सभी ज्ञापनों और सुझावों का परीक्षण कर जिला मूल्यांकन समितियाँ 31 दिसंबर 2025 तक अपने संशोधित प्रस्ताव भेजें। इन प्रस्तावों के आधार पर राज्य में आगे की गाइडलाइन दरों की संरचना तैयार की जाएगी।
इस बैठक के साथ ही राज्य सरकार द्वारा गाइडलाइन दरों में किए गए कई जनहितैषी सुधार भी लागू हो चुके हैं। नजूल, आबादी और परिवर्तित भूमि पर पहले वर्गमीटर दर लागू होती थी, जिसे अब कृषि भूमि की तरह हेक्टेयर दर पर लागू किया जाएगा। इससे भूमि मूल्य में भारी कमी आई है और नागरिकों को वास्तविक राहत मिली है। उदाहरणस्वरूप रायपुर के वार्ड 28 में एक एकड़ भूमि का मूल्य पहले 78 करोड़ रुपये आंका जाता था, जो अब नए प्रावधानों के अनुसार केवल 2.4 करोड़ रुपये होगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी कई महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं। परिवर्तित भूमि पर सिंचित भूमि के ढाई गुना मूल्य जोड़ने का प्रावधान समाप्त कर दिया गया है। दो फसली भूमि पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत मूल्य जोड़ने, ट्यूबवेल, कुएं, वाणिज्यिक फसलों तथा वृक्षों के मूल्य को भूमि मूल्य में जोड़ने की व्यवस्था भी हटा दी गई है। कांकेर में दर्ज एक उदाहरण में 600 वृक्षों के 78 लाख रुपये मूल्य को अब रजिस्ट्री में शामिल नहीं किया गया, जिससे खरीदार को लगभग 8.58 लाख रुपये की सीधी राहत मिली और पेड़ों की कटाई रोकने में भी यह कदम सहायक सिद्ध होगा।
शहर से लगे ग्रामीण क्षेत्रों में अब 25 से 37.5 डिसमिल तक की कृषि भूमि का मूल्यांकन वर्गमीटर के बजाय हेक्टेयर दर से किया जाएगा। बरौदा (रायपुर) में 37.5 डिसमिल भूमि का मूल्य पहले 26.75 लाख रुपये था, जो अब नए प्रावधानों के अनुसार मात्र 6.30 लाख रुपये होगा। तालाब अथवा मछली टैंक वाली भूमि पर 1.5 गुना दर लगाने का प्रावधान तथा बाउंड्री वॉल और प्लिंथ लेवल के मूल्य जोड़ने की व्यवस्था भी हटा दी गई है।
नगरीय निकाय क्षेत्रों में पहले निर्मित संपत्तियों के लिए 21 प्रकार की दरें लागू थीं, जिन्हें घटाकर अब केवल दो प्रकार की दरें कर दिया गया है, जिससे मकानों का मूल्यांकन करना अब आम नागरिकों के लिए अत्यंत आसान हो गया है।
केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड के इन निर्णयों एवं व्यापक सुधारों से राज्य में पंजीयन प्रक्रिया अधिक पारदर्शी, सरल और नागरिकों के हितों के अनुरूप बन गई है। सरकार का उद्देश्य आम जन पर आर्थिक बोझ कम करते हुए रियल एस्टेट सेक्टर में संतुलन और विश्वास बहाल करना है।
असली सरकार वही, जो जनहित के लिए अपने निर्णयों को भी बदल देः सीएम साय
सरकार ने जमीन गाइडलाइन दर में बड़ा बदलाव किया है। इस मामले में सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि लोकतंत्र में जनता सब कुछ होती है। जनता के हाथ में सबसे बड़ी ताकत होती है। उन्ही की सुविधा के लिए सरकार नियम कानून बनाती है और हर नियम-कानून को बनाने के लिए सरकार बहुत मेहनत करती है, लेकिन कभी-कभी जनता के हित की बात की थोड़ी कसर रह जाती है। सीएम साय ने कहा कि असली सरकार तो वही है, जो जनता के हित के लिए अपने निर्णयों को भी बदल दे। निश्चित रूप से गाइडलाइन दर को लेकर समीक्षा चल रही है। कुछ बिंदुओं पर बदलाव किए जा रहे हैं। हमारी सरकार जनता के हित में हर संभव कार्य करेगी।
