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0 नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने धान खरीदी में अव्यवस्था का मामला उठाया 
 
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सोमवार को विपक्ष धान खरीदी की अव्यवस्था पर काम रोको प्रस्ताव लेकर आया और इस पर तुरंत चर्चा कराने की मांग की। इस पर आसंदी ने ग्राह्यता पर चर्चा की अनुमति दी। चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्यों ने कहा कि इस बार किसानों को धान बेचने के लिए खून के आंसू बहाने पर मजबूर कर दिया गया है। इसका खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने विरोध करते हुए कहा कि इस बार धान खरीदी व्यवस्था बेहतर हुई है। मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्षी सदस्यों ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया। 

प्रश्नकाल के तुरंत बाद नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने धान खरीदी में अव्यवस्था का मामला उठाया और काम रोको प्रस्ताव की सूचना देकर तुरंत चर्चा कराने की मांग की। इस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने काम रोको प्रस्ताव की ग्राह्यता पर चर्चा की अनुमति दी। 
ग्राह्यता पर चर्चा की शुरुआत करते हुए नेता प्रतिपक्ष डॉ. महंत ने कहा कि धान खरीदी में जिस अव्यवस्था और कुप्रबंधन के चलते समस्याओं का सामना इस बार किसानों को करना पड़ रहा है, इससे पहले के 25 सालों में कभी नहीं करना पड़ा। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि धान बेचा है, उनका डाटा अगले साल के लिए कैरी फारवर्ड हो जाता था। इससे उन्हें सोसायटी में जाने की जरूरत नहीं होती थी। मगर इस बार पंजीयन की व्यवस्था जटिल कर दिया गया है। पांच फीसदी किसानों का पंजीयन नहीं हो पाया है। करीब 4 लाख अधिक खसरे का पंजीयन लंबित है। डॉ. महंत ने बोरा भराई चार्ज आदि में गड़बड़ी का आरोप लगाया और कहा कि इसमें करीब 120 करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ है।   

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि अव्यवस्था से लगता है कि सरकार की मंशा धान खरीदने का नहीं है। सरकार सिस्टम को बर्बाद कर निजी हाथों में सौंपने का षडयंत्र कर रही है। श्री बघेल ने कहा कि अगर ग्राह्य कर चर्चा कराते तो सत्तापक्ष के सदस्यों को भी बोलने का मौका मिलता, और सरकार की ओर से इस पर जवाब आता।उन्होंने कहा कि धान खरीदी से जुड़े समिति के प्रबंधक, कर्मचारी, कंप्यूटर ऑपरेटर हड़ताल पर चले गए हैं। सरकार उनकी मांगें मानने के बजाय उन्हें जेलों में ठूस रही है, उन पर कार्रवाई कर रही है। पंजीयन में समस्या आई, वन अधिकार पट्टा वाले किसानों का पंजीयन नहीं हुआ। 
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि धान खरीदी के लिए ऑनलाइन टोकन नहीं कट रहा है। कई लोगों के पास एंड्रॉयड मोबाइल नहीं, कई लोग चॉइस सेंटर का चक्कर लगा रहें हैं। महासमुंद के किसान मनबोध ने अपना गला काटकर आत्महत्या का प्रयास किया। उनकी कोई सुध लेने वाला नहीं है। 
भूपेश बघेल ने कहा कि धान खरीदी केंद्र से सीधे धान उठाने वाले नहीं हैं। धान खरीदी केंद्र से संग्रहण केंद्र ले जा रहे हैं और आरओ फरवरी में कटेंगे। इस अव्यवस्था से लगता है कि सरकार की मंशा धान खरीदने का नहीं है। पिछले साल के धान खरीदी का उठाव नहीं हो पाया। सरकार इस पूरे नाकामी के लिए जिम्मेदार है। सरकार सिस्टम को बर्बाद कर निजी हाथों में सौंपने का षडयंत्र कर रही है, इसलिए आसंदी से आग्रह कर मुद्दे को ग्राहय कर पूरी चर्चा कराई जाएं।