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0 विपक्षी कांग्रेस ने हसदेव अरण्य इलाके में पेड़ कटाई मामले में स्थगन लेकर आया
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन मंगलवार को विपक्षी कांग्रेस ने हसदेव अरण्य इलाके में पेड़ कटाई व आदिवासियों के शोषण के मामले में शून्यकाल में स्थगन लेकर आया। विपक्ष ने विषय पर चर्चा की मांग रखी, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने स्थगन पर सरकार के जवाब के बाद स्थगन पर चर्चा अस्वीकार कर दिया। इस पर नाराज कांग्रेस विधायक गर्भगृह में घुसकर नारेबाजी करने लगे। शोर-शराबा व हंगामा करते हुए 33 विधायक गर्भगृह में घुसकर स्वमेव निलंबित हो गए। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सिंह ने निलंबित सभी कांग्रेस विधायकों को सदन से बाहर जाने के लिए कहा। कांग्रेस विधायकों के सदन से बाहर जाते ही विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सिंह ने सभी कांग्रेस विधायकों का निलंबन समाप्त कर दिया। 

शून्यकाल में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने हसदेव अरण्य इलाके में पेड़ कटाई मामले में स्थगन लाया और इस पर चर्चा कराने की मांग की। इसके बाद स्थगन को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि अशासकीय संकल्प पारित किया गया था कि कोई खदान नहीं खुलेगा। इसके बावजूद भी ज्यादा से ज्यादा जंगल कांटे जा रहे हैं। सरगुजा से बस्तर तक सभी जगह पेड़ों की कटाई जोरों पर है। इसके खिलाफ स्थगन लाया गया है। वहीं उमेश पटेल समेत अन्य कांग्रेस सदस्यों ने कहा कि रायगढ़ जिले के तमनार में ग्रामीणों की सहमति के बिना पेड़ काटे जा रहे हैं। पूरे क्षेत्र को पुलिस छावनी में बदल दिया है। जनसुनवाई भी फर्जी तरीके से हुई है। सिर्फ 15 मिनट में ही जहां ग्रामीण बैठे थे, वहां से दूर दूसरी जगह जाकर जनसुनवाई की गई। विपक्ष की मांग थी कि इस पर चर्चा हो, लेकिन वन मंत्री का जवाब सुनने के बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने विपक्ष की मांग अस्वीकार कर दिया। इसके बाद विपक्षी कांग्रेस के सभी सदस्य गर्भगृह में प्रवेश कर Òएक पेड़ मां के नाम, बाकी पेड़ अडानी के नामÓ और आदिवासियों को परेशान करना बंद करो के नारे लगाने लगे। इसके बाद विस अध्यक्ष डॉ. सिंह ने सभी कांग्रेस विधायकों को निलंबित घोषित कर दिया।  
 
वन मंत्री कश्यप ने दिया जवाब
वहीं विपक्ष के अभयारण्य क्षेत्र में खनन को लेकर उठाए गए सवाल पर वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया देहरादून की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में वन आवरण में 94.75 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई है साथ ही वन क्षेत्रों के बाहर वृक्षों वाले क्षेत्र में 702 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई है जो देश में प्रथम स्थान पर है। प्रदेश के वन क्षेत्र में विगत 2 वर्षो में वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम अंतर्गत कुल 05 खनन प्रकरण हेतु 1300.869 हे वन भूमि नियमानुसार व्यपवर्तित की गई है। यह सही नहीं है कि सरगुजा, हसदेव अरण्य कोल फील्ड, तमनार, बस्तर आदि क्षेत्र में फर्जी जनसुनवाई जन आंदोलन, लाठी चार्ज, धरना प्रदर्शन, चक्का जाम का नजारा देखने में आ रहा है। राज्य सरकार द्वारा नियमों के अधीन भारत सरकार की स्वीकृति उपरांत ही वन भूमि व्यपवर्तित की गई है एवं व्यपवर्तन की शर्तों के तहत आवेदक संस्थान के आवेदन अनुसार न्यूनतम वृक्षों की कटाई की गई है। यहां यह उल्लेखनीय है कि वन भूमि व्यपवर्तन प्रकरणों में व्यपवर्तित वन भूमि के एवज में समतुल्य गैर वन भूमि अथवा दुगुने बिगड़े वन क्षेत्र में वैकल्पिक वृक्षारोपण किया जाता है।
विगत 02 वर्षों में व्यपवर्तित वन क्षेत्र के एवज में 1780.109 हेक्टेयर क्षेत्र में 1000 पौधे प्रति हे. के मान से 17,80,000 पौधे रोपित किये जायेंगे। इसके अतिरिक्त प्रत्येक प्रकरण में वन्यप्राणी संरक्षण योजना पृथक से तैयार की जाती है, जिसके तहत खनन से प्रभावित क्षेत्र के आसपास के वन क्षेत्रों में वन्यप्राणी संरक्षण हेतु कार्य किए जाते हैं। यह भी सही नहीं है कि जिला रायगढ़ के तमनार क्षेत्र में वन भूमि तथा राजस्व भूमि पर बड़े पैमाने पर हरे भरे वृक्षों की कटाई की जा रही है। बल्कि सही यह है कि जिला रायगढ़ के तमनार क्षेत्र में वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम अंतर्गत स्वीकृत 02 प्रकरणों में 6650 वृक्षों की कटाई नियमानुसार की गई है। रायगढ़ जिले में खनन के प्रकरणों में तमनार क्षेत्र में ग्रामसभा का आयोजन नियमानुसार किया गया है।
उन्होंने कहा कि तमनार क्षेत्र में स्वीकृत 02 प्रकरणों में 18 ग्रांव प्रभावित है जिसमें महाराष्ट्र स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी लिमिटेड को वन (संरक्षण एवं संवर्धन ) अधिनियम, 1980 अंतर्गत गारेपेलमा सेक्टर-2 कोल माईन्स हेतु कुल क्षेत्र 214.869 हे. वन भूमि व्यपवर्तन की स्वीकृति भारत सरकार द्वारा दिनांक 27.01.2023 को दी गई, वन भूमि व्यपवर्तन स्वीकृति के उपरांत नियमानुसार आवेदक संस्थान द्वारा आवेदन दिए जाने पर कुल 3684 नग वृक्षों के विदोहन की अनुमति प्रधान मुख्य वन संरक्षक (उत्पादन) 19 फरवरी 2025 को दी गई थी, जिसमें से सिर्फ 1124 वृक्षों की कटाई की गई है, तथा गारे पेलमा कोल ब्लाक 4/1 जेएसपीएल को स्वीकृत वन भूमि 91.179 हेक्टेयर में 5526 वृक्षों की कटाई हुई है।
मंत्री ने कहा कि यह सही नहीं है कि सरकार का यह कृत्य वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) जन सुनवाई और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के आदेशों का भी उल्लंघन है. कलेक्टर द्वारा एफ. आर. ए. अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त होने के पश्चात ही वन भूमि व्यपवर्तन की कार्यवाही की गई है, एवं नियमानुसार वृक्ष कटाई की अनुमति दी गई है।
विरोध करने वाले जन प्रतिनिधियों तथा ग्रामीणों पर पुलिस एवं उद्योगपत्तियों के नुमाइन्दों पर कोई भी बल पूर्वक अवैधानिक कार्यवाही नहीं की गयी है। यह सहीं नहीं है कि आज भी हजारों की तादाद में ग्रामीण सरकार के इस कृत्य के खिलाफ धरने पर बैठे हुए हैं, बल्कि सही यह है कि मौके पर सम्पूर्ण कार्यवाही संबंधित विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में नियमों का पालन करते हुए किया गया।
उन्होंने कहा कि यह सही नहीं है कि छत्तीसगढ़ का फेफड़ा कहे जाने वाले हसदेव क्षेत्र को उजाड़ा जा रहा है। अब तक लाखों वृक्ष रिकार्ड पर तथा लाखों वृक्ष रिकार्ड के बाहर काट डाले गये हैं. यह सही नहीं है कि इस सरकार को वन पर्यावरण, जैवविविधता, जलवायु, वन्य प्राणी रहवास से कोई सरोकार नहीं है।
सही यह है कि हसदेव अरण्य कोल फील्ड के लिए एनजीटी और उच्चतम न्यायालय के निर्णय अनुसार भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (आईसीएफआरई)  तथा भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के द्वारा सम्पूर्ण जैव विविधता का अध्ययन करके प्रस्तुत रिपोर्ट में परसा ईस्ट के बासेन एवं परसा कोल ब्लाक को विचार किया जा सकता है की श्रेणी में रखा गया है। 
वन मंत्री ने कहा कि यह सही नहीं है कि रिपोर्ट के प्रावधानों का उल्लंघन किया जाकर कार्यवाही की गयी है। यह सत्य नहीं है कि बस्तर के भानुप्रतापपुर में आरीडोंगरी क्षेत्र में अनेक ‘घने वृक्षों को काट दिया गया. बल्कि सही यह है कि वन ( संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम अंतर्गत 138.960 हे. वन भूमि व्यपवर्तन गोदावी पावर एण्ड इस्पात के पक्ष में 2008 एवं 2015 में स्वीकृति पश्चात अधिनियम के निहित प्रावधानों एवं स्वीकृत माईनिंग प्लान अनुसार आवेदक संस्थान से प्राप्त आवेदन के आधार पर 28,922 वृक्ष नियमानुसार काटे गये हैं।